कड़वा सच, युवाओं को पढ़ाई और रोजगार की बजाय चाहिए बेरोजगारी भत्ता

पटना : बिहार के युवाओं में इन दिनों पढ़ाई और स्व रोजगार करने की बजाये बेरोजगारी भत्ता का लाभ लेने की होड़ मची है। ये हम नहीं बल्कि वो आंकड़ें कह रहे हैं जिसने नीतीश सरकार के सात निश्चयों में से एक की सफलता पर सवाल खड़े कर दिये हैं।

सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चयों मे से एक यानि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, कौशल विकास मिशन और बेरोजगारी भत्ता वेबसाइट पर हिट साबित हो रही है तो वास्तविकता ठीक उससे उलट दिख रही है।

हालत ये है कि योजनाओं को लोगों से ऑनलाइन माध्यम से जबरदस्त हिटस् तो मिल रहे हैं लेकिन आवेदकों की संख्या हिट्स की तुलना में न के बराबर है। यही कारण है कि अब तक 8 करोड़ से अधिक लोगों ने इन योजनाओं को जानने के लिए वेबसाइट को हिट किया है। दूसरी ओर ऑनलाइन हिट्स के मुकाबले आवेदन जमा करने की स्थिति न के बराबर है।

योजना लागू होने से लेकर अब तक मात्र डेढ़ लाख आवेदकों ने ऑनलाइन माध्यम से विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिये आवेदन डाले हैं। सबसे कम आवेदन स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के लिए ही किए गए हैं। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक मात्र ढाई हजार छात्रों ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन डाला है।

दूसरी ओर बेरोजगारी भत्ता लेने के लिए सबसे अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। इस योजना के लिए अब तक एक लाख से भी अधिक आवेदन मिले हैं। कौशल विकास योजना की बात करें तो इसके लिए लगभग 19 हजार ही आवेदन मिले हैं। सबसे खास बात यह है कि आवेदकों में पांच की संख्या ट्रांसजेंडरों की भी है।

आवेदनों में महिला पुरूष की बात करें तो 1 लाख 2 हजार से अधिक आवेदन पुरुषों ने डाले हैं जबकि महिलाओं ने 30 हजार आवेदन डाले हैं। विभाग से मिले आंकड़ो के बाद ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार के युवाओं में नौकरी या रोजगार करने की बजाये सरकार से मिलने वाले बेरोजगारी भत्ता को लेने की होड़ मची है।

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