कौशल विकास मिशन ने अपने ही अधिकारियों के साथ कर दिया अन्याय

लखनऊ (उत्तर प्रदेश) : कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने वाले अधिकारी ही परेशान हैं। राजधानी समेत प्रदेश के सभी जिलों में संविदा पर तैनात काउंसलर/ एमआइएस प्रबंधक को 30 नवंबर को ठेके पर तैनाती का निर्णय लिया गया। कौशल विकास मिशन के इस तुगलकी फरमान के विरोध में प्रबंधकों ने न केवल कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया है बल्कि इस निर्णय के विरोध में उच्च न्यायालय जाने की चेतावनी भी दी है।

कौशल विकास वेलफेयर एसोसिएशन के सुभाषचंद्र यदुवंशी का कहना है कि चार साल के करार के बावजूद ढाई साल के अंदर संविदा से हटाकर ठेके पर तैनाती करने का निर्णय कौशल विकास मिशन के अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ है। सभी जिलों में तैनात काउंसलर/एमआइएस मैनेजर पंजीकृत 46 लाख बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने में लगे हैं। 45 हजार से अधिक बेरोजगारों को नौकरी भी मिल गई। कौशल विकास मिशन को पुरस्कार भी मिले, लेकिन मिशन ने काम करने वाले अधिकारियों के साथ ही अन्याय कर दिया।

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