प्रोजेक्ट ‘आशा’ – भीख मांगने और बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को मिलेगी स्कूली शिक्षा अथवा स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग

बठिंडा (पंजाब) : सड़कों पर भीख मांगने या बाल मजदूरी करने वाले बच्चों में पढ़ने की रूचि जगाने के लिए बठिंडा की एसडीएम साक्षी साहनी ने एक नया प्रोजेक्ट ‘एसोसिएशन फोर स्माइल, हैप्पीनेस एंड एस्पिरेशन’ आशा शुरू किया है। जिला प्रशासन शहर की समाजसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर शुरू किए गए इस आशा प्रोजेक्ट के तहत शहर की सड़कों पर भीख मांगने वाले या होटल या ढाबों आदि स्थानों पर बाल मजदूरी करने वाले बच्चों की पहचान कर उन्हें पढ़ने के लिए स्कूल भेजने का काम करेगी, ताकि वह पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़े हो सके। इस प्रोजेक्ट के तहत झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को भी पढ़ने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके लिए विभिन्न विभागों की मदद ली जाएगी। इसके अलावा बच्चों के आधार कार्ड, शिनाख्त कार्ड बनाने भी बनाएं जाएंगे, ताकि उनकी पहचान बन सके।

एक माह में तैयार किया जाएगा बच्चों का डाटा

वीरवार को आशा प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए एसडीएम साक्षी साहनी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट जिला प्रशासन ने शहर की विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर शुरू किया गया। इसमें बच्चों से संबंधित रखने वाले बाल सुरक्षा विभाग, शिक्षा विभाग, बाल विकास प्रोजेक्ट आफिसर, रेलवे पुलिस, रेडक्रास सोसायटी, आईटीआई, सेहत विभाग, श्रम विभाग, बठिंडा पुलिस को जोड़ा गया है। इन सभी विभागों के अधिकारियों की 10 टीम गठित की गई है, जोकि 1 माह के भीतर उन सभी बच्चों की पहचान कर उनका डाटा तैयार करेगी, जोकि माता-पिता की गरीबी के कारण बाल मजदूरी कर रहे है या बेसहारा है। एक माह के भीतर सभी टीमें अपने स्तर पर उनकी पहचान करने के बाद उनके शिनाख्त कार्ड आधार कार्ड भी बनाएं जाएंगे।

झुग्गी झोपड़ियों के बच्चे उनके परिजनों को दिखाई जाएगी फिल्म

गरीब और बेघर बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए शहर के स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों उनके परिजनों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए मोटिवेशनल फिल्में दिखाई जाएगी। इसके लिए शहर का एक सिनेमा चिह्नित कर लिया जाएगा, इसके साथ ही सोसायटी के वालंटियर यूथ की मदद से बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए शहर की 171 आंगनबाड़ी केंद्रों पर लर्निंग वॉल बनाई जाएगी, जिस पर विभिन्न विषयों की शिक्षाप्रद पेंटिंग बनाई जाएंगी।

तीन भागों में बांटकर चलाया जाएगा प्रोजेक्ट

आशा प्रोजेक्ट को तीन भाग प्री रेस्क्यू, रेस्क्यू पोस्ट रेस्क्यू में बांटकर चलाया जाएगा। प्री रेस्क्यू के तहत उन जरूरतमंद बच्चों की पहचान की जाएगी, जोकि भीख मांगने, स्कूल नहीं जाने बाल मजदूरी करने वाले की जाएगी। दूसरे फेज में इन बच्चों को शिनाख्त कार्ड दिए जाएंगे। एसडीएम साक्षी ने बताया कि 6 साल तक की उम्र वाले बच्चों को आंगनबाड़ी, 14 साल तक के बच्चों को स्कूल में 14 साल से अधिक उम्र वाले बच्चों को रेडक्रास या स्किल डेवलपमेंट में दाखिल करवाकर उन्हें शिक्षा दिलाई जाएगी। वहीं पाेस्ट रेस्क्यू के तहत उन बच्चों को फालोअप किया जाएगा। इस मुहिम के तहत सरकारी स्कूल के बच्चों को उत्साहित करने के प्रयास किए जाएंगे और बच्चों को एक्सपोजर विजिट के तहत उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले कालेज, यूनिवर्सिटी अस्पताल के विजिट करवाया जाएगा।

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