अव्यवस्थाओं से परेशान होकर, कौशल विकास प्रशिक्षण लेने से युवाओं ने किया बहिष्कार

लखनऊ : केंद्र सरकार की ओर से कौशल विकास योजना के द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मगर हरदोई से प्रशिक्षण के लिए आए कई युवाओं ने सेंटर की अव्यवस्थाओं से परेशान होकर प्रशिक्षण लेने का बहिष्कार कर दिया है। युवा मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण लेने के लिए आए थे।

कौशल विकास आधारित एक प्रशिक्षण में हरदोई जिले से लगभग 35 बच्चे प्रशिक्षण लेने के लिए लखनऊ स्थित एक सेंटर पर आये हुए थे। इस सेंटर पर बच्चों को एक महीने के लिए एक मोबाइल रिपेयरिंग प्रशिक्षण दिया जाना था, जिससे बच्चे आगे अपना भविष्य बना सके। इस सेंटर पर बच्चों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत बच्चों को प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था, लेकिन बच्चों को न तो बेहतर प्रशिक्षण मिला और न ही प्रशिक्षण की ठीक जगह।

वहीं, प्रशिक्षण लेने आये मनोज कुमार (25 वर्ष) ने बताया, ‘’इस सेंटर पर जब हमें भेजा गया तो बताया गया था कि वहां अच्छी सुविधा दी जाएगी। सेंटर पर न तो सही रुकने की व्यवस्था है और न तो खाने की। हम लोग बाहर से आये हैं। यहां पर ज्यादा कुछ जानते भी नहीं हैं। कोई भी सही से बात तक नहीं कर रहा है। अब हम लोगों ने मिलकर निर्णय लिया है कि हम प्रशिक्षण नहीं लेंगे और सेंटर छोड़ कर जा रहे हैं।” केंद्र सरकार के भूमि संरक्षण विभाग द्वारा 2011 से कौशल विकास योजना चलाई गयी, जिसमें बच्चों को एक महीने का प्रशिक्षण दिया जाना है। इसमें प्रशिक्षण किसी भी प्रकार का हो सकता है।

इस बारे में युवाओं के साथ आये वाटर सेड टीम हरदोई धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि हमारे बच्चों को कोई भी सुविधा नहीं दी गई। बच्चों को एक ही कमरे में रोका गया और उसी कमरे में सारे बच्चे रहते हैं। खाना बच्चों को समय से नहीं मिल रहा है। ये प्रशिक्षण के नाम पर सजा है। सरकार ने बहुत अच्छी योजना दी थी, जिससे बच्चे बेहतर भविष्य बना सके लेकिन सेंटर पर कोई भी सुविधा नहीं हैं। यहाँ से बच्चों का चले जाना ही सही है क्योंकि यहाँ बच्चों से कोई ठीक तरीके से बात नहीं करता है।

वहीं, प्रशिक्षण लेने आये संदीप कुमार वर्मा (26 वर्ष) ने बताया, ‘’यहां पर हम लोगों को कच्चा खाना दिया जाता है, जो भी समय पर नहीं दिया जाता है। पानी इतना गन्दा दिया जाता है कि पीने योग्य भी नहीं है। लेटने के लिए जमीन पर बिस्तर डाल दिया जाता है। हम लोगों से अभद्र भाषा से बात की जाती है। सेंटर व्यवस्थापक बिल्कुल सही नहीं है।”

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