इमिग्रेशन पर नरम पड़े डोनाल्ड ट्रंप, शिक्षा, कौशल, भाषा और पारिवारिक पृष्ठभूमि आधारित आव्रजन प्रणाली से भारतीयों को मिलेगा लाभ

वॉशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने देश की वर्तमान ‘पुरानी’ आव्रजन प्रणाली की जगह पर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर ‘मेरिट आधारित आव्रजन प्रणाली’ लागू करने की बात की है। यह नीतिगत परिवर्तन हुआ तो भारत जैसे देशों के हाई-टेक प्रफेशनल्स के लिए फायदेमंद हो सकता है। ट्रंप ने मंगलवार रात कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा, ‘सही और सकारात्मक आव्रजन सुधार तभी संभव है, जब हम अमेरिकियों के लिए नौकरियों और वेतन में सुधार करने, अपने देश की सुरक्षा को मजबूत करने और हमारे कानूनों के प्रति विश्वास बहाल करने के लक्ष्यों पर ध्यान देंगे।’

दुनिया भर में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देश हैं, जिनकी आव्रजन प्रणाली मेरिट आधारित है। उन्होंने कहा, ‘यह एक बुनियादी सिद्धांत है कि जो लोग हमारे देश में आना चाहते हैं, वे आर्थिक रूप से अपना निर्वाह करने में सक्षम हों।’ ट्रंप ने कहा, ‘अकुशल लोगों को आने देने की वर्तमान प्रणाली को बंद करके मेरिट आधारित प्रणाली अपनाने के कई लाभ होंगे। इससे अमेरिकी मुद्रा बचेगी, कर्मचारियों का वेतन बढ़ेगा और यह संघर्षरत परिवारों के लिए भी लाभकारी होगा।’

ट्रंप ने डेमोक्रैट्स से भी आव्रजन सुधारों का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए रिपब्लिकंस और डेमोक्रैट्स को साथ मिलकर काम करना चाहिए।’ संभावना है कि कई डेमोक्रैट्स यह तर्क देते हुए ट्रंप के मेरिट-आधारित आव्रजन प्रणाली लागू किए जाने के प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे कि इससे गरीबों का भला नहीं होगा और इस प्रणाली के लागू होने की स्थिति में लैटिन अमेरिकी देशों के प्रवासियों के साथ भी भेदभाव होगा, जिसे पार्टी अपना प्रमुख आधार मानती है।

हालांकि ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि मेरिट आधारित प्रणाली किस तरह काम करेगी। कनाडा में आव्रजन के आवेदनकर्ताओं को शिक्षा, कौशल, भाषा और पारिवारिक पृष्ठभूमि जैसी विभिन्न योग्यताओं के लिए पॉइंट्स दिए जाते हैं और इसी आधार पर उन्हें प्रवास की अनुमति दी जाती है। वर्तमान में अमेरिकी आव्रजन प्रणाली के अनुसार हर देश से कुल प्रवासियों में से अधिकतम सात प्रतिशत लोग ही अमेरिका प्रवास के लिए जा सकते हैं।

हालांकि अमेरिकी नागरिकों के निकट संबंधियों को इस नियम से छूट दी गई है। इस नियम के चलते भारतीयों को ग्रीन कार्ड के लिए कई साल इंतजार करना पड़ता है। रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड्स पर भी 1,40,000 की सीमा तय है। ट्रंप ने अपने चुनावी वादों को पूरा करते हुए अवैध आव्रजन पर कड़ा रुख अख्तियार किया है और मेक्सिको की सीमा पर दीवार के निर्माण का फैसला भी किया है।

आपराधिक और अवैध आव्रजकों पर लगाम लगाने के लिए अपने नए आव्रजन कानूनों को लेकर निशाना साधने वाले अपने आलोचकों को जवाब देते हुए ट्रंप ने अवैध शरणार्थियों द्वारा किए गए अपराधों के पीड़ितों का जिक्र किया, जिन्हें उनके अनुसार ‘मीडिया खास लाभ के लिए नजरअंदाज कर देता है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि देश की दक्षिणी सीमा पर भी शीघ्र ही एक ‘मजबूत दीवार’ का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। सात मुस्लिम देशों के नागारिकों पर लागू यात्रा प्रतिबंध के मुद्दे पर, जिसे अमेरिकी अदालतों ने खारिज कर दिया है, ट्रंप ने कहा कि जल्द ही गहन जांच वाली प्रणाली शुरू की जाएगी।

भारतीयों को होगा सबसे ज्यादा फायदा

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी संसद में जो कुछ कहा यदि वह हकीकत बन जाए तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत के आईटी कर्मचारियों को मिलना तय है। एच-1 बी वीजा पर अमेरिका में बसने वाले विदेशियों में भारतीय आईटी सेक्टर के कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है।

इनके अलावा भारत से अमेरिका जाने वाले वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, इंजीनियरों को भी योग्यता पर आधारित वीजा सिस्टम का भरपूर लाभ मिल सकता है। बहरहाल, ट्रंप की नीतियों में आए इस बदलाव से उन भारतीयों को राहत जरूर मिली है जो एच-1 बी वीजा नियमों के सख्त होने की आशंका से चिंतित थे।

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