2021 तक 10 में से 4 नौकरि‍यां ले जाएंगे रोबोट, मैन्युफैक्चरिंग, आईटी, सिक्योरिटी और एग्रीकल्चर में सबसे पहले पड़ेगा असर

नई दिल्ली :  तेजी से बढ़ते ऑटोमेशन का असर इतना ज्यादा होगा कि वर्ष 2021 तक दुनियाभर में 10 में से 4 नौकरियां इसकी भेंट चढ़ जाएंगी। देश के कुछ नामी एक्सपर्ट ने यह आशंका जताई है। इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग, आईटी, बैंकिंग और ऑटोमोबाइल्स जैसे सेक्टरों में ऑटोमेशन अब आम हो गया है। जैसे जैसे यह बढ़ेगा श्रम आधारित नौकरियों पर इसका बहुत असर पड़ेगा।

3 से 4 साल में बड़े बदलाव  

पीपल स्ट्रॉन्ग के सीईओ और फाउंडर पंकज बंसल का कहना है कि आने वाले 3 से 4 सालों में बड़े बदलाव नजर आएंगे। सबसे पहले मैन्युफैक्चरिंग, आईटी, सिक्योरिटी और एग्रीकल्चर में असर पड़ेगा। बंसल ने कहा, हमें अंदेशा है कि 2021 तक दुनियाभर में 10 में से 4 नौकरियां ऑटोमेशन की वजह से चली जाएंगी और इनमें भी हर चौथी भारत से होगी। इसका मतलब यह है कि भारत में ही करीब 23 फीसदी नौकरियां चली जाएंगी। भारत में हर साल 55 लाख नौकरियां पैदा होती हैं, लेकिन यह भी कम पड़ जाती हैं और ऑटोमेशन इस गैप को और बढ़ा रहा है।

इस तरह घटीं जॉब्स 

KellyOCG India के कंट्री डायरेक्टर फ्रांसिस पदमादान ने कहा, अगर पांच साल पहले असेंबली लाइन में 1500 नौकरियां थीं तो आज उनकी गिनती घटकर 500 आ गई है क्योंकि अब फोकस ऑटोमेशन की ओर बढ़ गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि कम कुशलता के साथ और बड़ी मात्रा में होने वाला काम ऑटोमशन के चलते प्रभावित होगा। इन सेक्टरों में ऐसा दौर आने को है जिसमें ऐसे कामों के लिए लोगों को कुछ समय के लिए हायर किया जाएगा जो ऑटोमशन से नहीं हो सकते।

नई नौकरियां भी पैदा होंगी 

इधर बंसल का कहना है कि इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार को दो क्षेत्रों पर फोकस करना होगा – मिड मार्केट सेगमेंट को मजबूत करना और लोगों को योग्य बनाना ताकि वह नई नौकरियां पा सकें जो ऑटोमेशन के बाद सामने आएंगी। वहीं फ्रांसिस का मानना है कि ऑटोमशन सारी नौकरियां नहीं खा जाएगा क्योंकि आपको अभी भी लोग चाहिए जो रोबोट को बनाएं और उनकी निगरानी करें। सबसे निचले स्तर पर जहां नौकरियां प्रभावित होंगी तो नई नौकरियां भी सामने आएंगी।

Note: News shared for public awareness with reference from the information provided at online news portals.