रोजगार विभाग का देखो दुर्भाग्य, न कौशल विकास विभाग न ही उद्योग विभाग जिम्मेवारी लेने को तैयार

भोपाल : प्रदेश में युवाओं को रोजगार मुहैया कराने वाला रोजगार विभाग किसके पास रहे, इसके लिए दो विभागों में ठन गई है। उद्योग विभाग इसे अपने पास नहीं रखना चाहता, उसने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी सरकार को भेजा है। वहीं कौशल विकास विभाग इसे फिलहाल लेने में आनाकानी कर रहा है। उसका कहना है कि पहले विभाग की लाइबिलटी तय हों, इसके बाद इस प्रस्ताव पर विचार किया जाना चाहिए। उद्योग विभाग का कहना है कि उसके पास  विभाग में काम बहुत है, लिहाजा वह रोजगार विभाग पर ध्यान नहीं दे पा रहा है। उसका यह भी तर्क है कि कौशल विकास का रोजगार से सीधा संबंध है। लोगों को स्किल्ड कर उन्हें रोजगार दिलवाने की जिम्मेवारी भी इस विभाग के पास है। लिहाजा रोजगार विभाग को कौशल विकास विभाग के हवाले कर देना चाहिए।

इस संबंध में प्रस्ताव भी तैयार कर लिया गया है। इस प्रस्ताव को मानने से कौशल विभाग आनाकानी कर रहा है। प्रस्ताव आने के बाद उसने इस विभाग से जुड़ी मूल नस्ती मांग ली है। बताया जाता है कि मूल नस्ती फिलहाल नहीं मिल रही है जिससे आगे का काम रुक गया है। गौरतलब है कि एक जून को रोजगार विभाग का बड़ा कार्यक्रम होने वाला है। इसमें रोजगार से जुड़े कई एमओयू भी होंगे। इस कार्यक्रम में सीएम समेत केन्द्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी भी मौजूद रहेंगे। उद्योग विभाग का प्रयास है कि इस कार्यक्रम से पहले ही रोजगार विभाग कौशल विकास विभाग को सौंप दिया जाए।

पहले था जनशक्ति नियोजन

प्रदेश में युवाओं को रोजगार देने के लिए पहले जनशक्ति नियोजन विभाग हुआ करता था। रोजगार विभाग इसी विभाग के तहत आता था पर दिग्विजिय सिंह सरकार ने 1998 में इस विभाग को बंद कर इसे उद्योग विभाग के अधीन कर दिया था। इसके पीछे तब यह तर्क दिया गया था कि उद्योग विभाग में चूंकि सीधे रोजगार से जुड़ा है लिहाजा युवाओं को रोजगार के अवसर वह ज्यादा मुहैया करा पाएगा पर ऐसा नहीं हुआ और यह विभाग नाम के लिए रह गया है।

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