केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), नेशनल स्किल डेवलपमेंट फंड एवं नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बीच हुआ करार

नई दिल्ली : केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि पूर्व में नीति निर्धारकों ने देश में शिक्षा को कौशल से नहीं जोड़ा। इस वजह से देश में दक्ष श्रमशक्ति का काफी अभाव है। चीन, जापान सहित अन्य देशों में शिक्षा के साथ कौशल को जोड़ने से वहां कुशल कामगारों की कोई कमी नहीं है। भारत में भी हर वर्ष करीब 21 लाख युवा आइटीआइ से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, लेकिन इसके बाद उन्हें समतुल्य वर्ग का सर्टिफिकेट तक नहीं दिया जाता। ये बातें उन्होंने  सोमवार को विज्ञान भवन में आयोजित केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ), नेशनल स्किल डेवलपमेंट फंड एवं नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बीच हुए एक करार हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान कहीं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर लोगों में कौशल विकास के लिए अलग मंत्रालय का निर्माण किया गया है। मंत्रालय का प्रयास है कि भारत को दुनिया का कौशल दक्ष श्रमशक्ति बनाया जाए। उन्होंने बताया कि मंत्रालय को कौशल विकास के लिए 26 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह प्रयास है कि अर्धसैनिक बलों से प्रतिवर्ष सेवानिवृत्ति अथवा स्वैछिक सेवानिवृत्ति लेने वाले 20 हजार जवानों को भी इसका फायदा मिले। इसके लिए कुछ सशस्त्र पुलिस बल से समझौता हो चुका है। वायुसेना व नेवी सहित अन्य बलों 26 हजार जवानों को प्रशिक्षण देने के साथ ही उनका प्लेसमेंट भी कराया जा चुका है। अब सीआइएसएफ को इससे जोड़ा गया है।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के महानिदेशक ओपी सिंह ने कहा कि समय के साथ बल की संख्या और जिम्मेदारी में इजाफा हुआ है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, नेशनल स्किल डेवलपमेंट फंड एवं नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के बीच हुआ करार बल के सदस्यों को रोजगार दिलाने और आय बढ़ाने में सहायक होगा। पहले चरण में 500 कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस मौके पर गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि बीए या एमए पास करने के बाद लोग कार्यालय में काम करना चाहते हैं। थोड़ा पढ़ जाने के बाद युवा मेहनत वाले काम को छोटा मानने लगते हैं, जोकि गलत मान्यता है। इसकी वजह से ही दक्ष श्रमशक्ति के लिए सरकार ने कौशल विकास कार्यक्रम शुरू किया है। देश में कौशल विकास की दर बढ़ने पर मांग-पूर्ति, कौशल दक्ष श्रमशक्ति, व्यावसायिक एवं तकनीकी प्रशिक्षण व कौशल उन्नयन, रोजगार बढ़ाने और नए रोजगार के सृजन में सहायक होगा।

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