घरों-शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में चल रहे 70 ITI को नोटिस, मान्यता पर लटकी तलवार

पटना : राज्य के 70 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) की मान्यता पर तलवार लटक रही है। मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रन्योरशिप गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने इन संस्थानों को शोकॉज नोटिस जारी किया है। 15 दिनों में इन कॉलेजों को जवाब देना है। ज्वाइंट डायरेक्टर ऑफ ट्रेनिंग एमसी करदाम ने नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं आपके कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी जाए।

मंत्रालय की ओर से इन कॉलेजों की जांच की गई थी, जिसमें ये संस्थान मान्यता की शर्तों को पूरा करते हुए नहीं पाए गए। इसके बाद इन संस्थानों को नोटिस जारी किया गया। जिन संस्थानों को नोटिस जारी किया गया है उनमें मुजफ्फरपुर, छपरा, वैशाली के कॉलेज हैं। पटना समेत अन्य जिलों में कॉलेजों के इंस्पेक्शन का काम अभी चल रहा है। कौशल विकास मंत्रालय की ओर से देशभर में आईटीआई कॉलेजों के इंफ्रास्ट्रक्चर व अन्य सुविधाओं के लिए इंस्पेक्शन किया जा रहा है।

सिर्फ कागजों पर मान्यता ले ली गई थी

आईटीआई कॉलेजों के निरीक्षण के लिए गई टीम ने कई चौंकानेवाले खुलासे किए हैं। टीम ने कहा है कि संस्थान घरों में, कॉमर्शियल शॉपिंग कॉम्पलेक्स में चलते पाए गए हैं। इनके पास न पार्किंग की सुविधा थी, न ही लैब बनवाई गई थी। इंस्ट्रक्टर बिना अप्वाइंटमेंट के काम कर रहे थे। उन्हें खुद मशीनों की जानकारी नहीं थी। छात्रों की संख्या कागजों पर थी। कई जगहों पर प्रिंसिपल इंस्पेक्शन टीम के सामने नहीं आए। संस्थानों में बिजली के कनेक्शन नहीं पाए गए। जहां लैब बनाई भी गई थी, वहां कंप्यूटर को लैन या ब्रॉडबैंड से जोड़ा नहीं गया था। संस्थान में किसी तरह की सुविधा नहीं थी, सिर्फ कागजों पर मान्यता ले ली गई थी।

70 में 44 कॉलेज मुजफ्फरपुर के, 22 वैशाली, 4 छपरा के जिन 70 संस्थानों को अभी शो कॉज नोटिस जारी किया गया है उनमें से 44 कॉलेज मुजफ्फरपुर के हैं। 22 वैशाली जिले के कॉलेज हैं जबकि 4 कॉलेज छपरा के हैं। मंत्रालय की ओर से अभी बाकी जिलों के कॉलेजों का इंस्पेक्शन चल रहा है। इसके बाद उनपर भी कार्रवाई हो सकती है।

अगस्त से शुरू होनेवाले सत्र में नामांकन पर रोक

जिन संस्थानों से कारण बताओ नोटिस पूछा गया है उन संस्थानों में अगस्त से शुरू होनेवाले सत्र में नामांकन पर रोक लगा दी गई है। यानी इन संस्थानों में नामांकन नहीं हो पाएगा। निरीक्षण के दौरान संस्थानों में जितने छात्रों का नामांकन था उतने छात्र प्रजेंट नहीं मिले थे। सिर्फ कागजों पर नामांकन चल रहा था।

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