कौशल कुटीर बनाया पटना में, कर्मी घूम रहे हैं मुजफ्फरपुर में

पटना : मुख्यमंत्री भिक्षा वृत्ति निवारण योजना के तहत कौशल कुटीर चलाया जा रहा है। भिक्षावृत्ति को कानूनन अपराध मानते हुए उससे मुक्ति दिलाने और आर्थिक मजबूती देते हुए समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की यह सरकार की कोशिश है। समाज कल्याण विभाग की संस्था सक्षम के माध्यम कौशल कुटीर को चलाने का भार एक एनजीओ को चलाने के लिए दिया गया है। जो भिक्षाटन करते हुए पाए जाते हैं। घर से भटक गए, भाग गए या बिछुड़ गए हैं, उन्हें कौशल कुटीर में भेजा जाता है। कौशल विकास के लिए इनकी उम्र 18 से 35 साल तक रहनी चाहिए, लेकिन यहां ऐसे भी लोग रह रहे हैं जिनकी उम्र 45-50 से ज्यादा होगी। जानकारी मिली कि यहां जो कर्मी कार्यरत हैं, उन्हें दो माह से मानदेय नहीं मिला है। डॉन बॉस्को टेक्स स्किल इंडिया सोसाइटी को यह चलाने के लिए दिया गया है।

ज्यादाकर्मी नदारद

डीबीस्टार ने शुक्रवार को जब इस सेंटर की तहकीकात की तो होम इंचार्ज से बात हुई। वे चाहते रहे कि सोमवार को उनके सेंटर पर आया जाए क्योंकि वे बाहर हैं। उन्होंने अपने कर्मियों के फोन से बात कराई और कहा कि यहां आने के लिए आपको सक्षम से परमिशन लेना पड़ेगा। अधिकारी के आदेश के बाद ही बताया जाएगा कि यहां कितना मैन पावर है या सेंटर कैसे संचालित किया जाता है। डीबी स्टार टीम पहुंची तो शिक्षक के पांच पद में से एक दिखे। काउंसलर एक है, वह पर्व की छुट्टी पर थीं। वार्डन एक हैं, वह दिखे। होम इंचार्ज एक हैं अमित रंजन प्रसाद। बताया गया कि वे बाहर गए हुए हैं। अमित रंजन प्रसाद ने अपने एक कर्मी को फोन कर रिपोर्टर से बात जरूर की। फिल्ड कॉर्डिनेटर एक हैं रवि। ये मौजूद दिखे। एक केयर टेकर और एक एएनएम हैं। दोनों उपस्थित नहीं थे, बाहर थे।

अमितरंजन प्रसाद, होम इंचार्ज, कौशल कुटीर का कहना है कि यहां 35 तक की उम्र वाले को रखना है पर यदि फिजिकल ठीक है या डिपार्टमेंट ने लिखित दिया है तो हम रखते हैं। शिक्षक अन्य कर्मी जो यहां नहीं दिखे, वे मुजफ्फरपुर मोबलाइजेशन में गए हुए हैं। मैं भी मुजफ्फरपुर में हूं। सक्षम के से परमिशन पर ही कोई और जानकारी देंगे।

जानकारी बोर्ड पर नहीं, रहने वालों की उम्र का हिसाब नहीं

बादलविलासपुर के रहने वाले हैं। वह प|ी से झगड़ा होने के बाद घर से भाग गए। उन्हें मानसिक चिकित्सालय सिंदरी में भर्ती कराया गया। वहां से इस सेंटर पर भेजा गया है। पूछने पर कहा- घर जाना चाहता हूं पर पैसे नहीं हैं। अभी यहां आए हुए चार दिन हुए हैं। रवि ओडिशा के रहने वाले हैं। वे केरल से रहे थे, मुजफ्फरपुर में उतर गए। वहां से सेवा कुटीर लाया गया और डेढ़ माह वहां रहने के बाद इस सेंटर पर भेजा गया है। वे चार माह से इस सेंटर पर हैं। सिक्योरिटी गार्ड का काम सीखा है। राकेश अपना घर गनियापुरस बेलग्राम बताते हैं। वे चार दिन पहले आए हैं। उनकी उम्र 45 से ज्यादा ही होगी, कम नहीं।

50 लोग रह रहे हैं

सेवाकुटीर से यहां आने पर तीन माह की ट्रेनिंग देते हुए आत्मनिर्भर बनाया जाता है। यहां 75 लोगों के रहने की व्यवस्था है लेकिन अभी 50 रह रहे हैं। इसमें सात लड़कियां हैं। पांच तरह के कोर्स कराए जा रहे हैं। हाउसकीपिंग एंड हॉस्पिटेलिटी, मल्टी स्किल टेक्नीशियन, टेलरिंग, सिक्योरिटी गार्ड और लाइफ स्किल। यहां लाए जाने के बाद 10 दिन तक इंडक्शन क्लास चलती है। 10 दिनों के बाद यह तय किया जाता है कि उन्हें किस फिल्ड में तीन माह की ट्रेनिंग दी जाए। लाइफ स्टाइल टीचर राजा बाबू प्रजापति बताते हैं कि प्रतिदिन दो घंटे लाइफ स्कूल क्लास चलता है।

शरीर से ठीकठाक लोगों को भीख मांगते देख लोग सौ बात सुनाते हैं। इनके कारण सड़कों पर आम लोगों को भी परेशानी होती है। ऐसे ही लोगों को कामकाज में कुशल बनाने के लिए बिहार सरकार मुख्यमंत्री भिक्षावृत्ति निवारण योजना के तहत कौशल कुटीर चला रही है। डीबी स्टार ने ऑन-द-स्पॉट हकीकत देखी तो यहां ड्यूटी पर लगाए एनजीओ के ज्यादा लोग गायब थे। पूछने पर जवाब मिला कि जो नहीं दिखे, वह मोबलाइजेशन में मुजफ्फरपुर गए हैं।

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