कचरा प्रबंधन को कौशल विकास से जोड़ें, रोजगार भी बढ़ेगा

नई दिल्ली : कुछ दिनों पहले दिल्ली में कचरे का पहाड़ ढहने से हुई घटना से कचरा प्रबंधन के प्रति उदासीनता का पता चलता है। स्वच्छ भारत अभियान देश कचरा प्रबंधन पर जागरूकता का अच्छा प्रयास है,लेकिन इसमें कचरा इकट्‌ठा करने पर ज्यादा जोर है और कचरे के निस्तारण की पर्याप्त का कारण बन रहा है, तो कचरा प्रबंधन हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हमारे शहरों से करीब 1.6 लाख टन ठोस कचरा हर रोज निकलता हैष नियंत्रक एव महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर वर्ष 7.2 टन खतरनाक औद्योगिक कचरा, 4 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा, 48 टन नगर निगम के कचरे के साथ 75 फीसदी सीवेज का निपटारा ही नहीं हो पाता है।

कचरे की रीसाइकलिंग एक वैश्विक समस्या है, जो भारत के लिए भी चुनौती है। अगर इस कचरे के प्रबंधन का कौशल अपनाएं तो कचरे का न सिर्फ निपटारा हो सकता है बल्कि इससे लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है। विकसित देशों ने तो अपने यहां कचरा प्रबंधन को लाभप्रद व्यवसाय बना लिया है। अफ्रीका ने तो इस क्षेत्र में न केवल अपने लोगो को नौकरियां दी बल्कि इसे आमदनी का जरिया भी बना लिया है। थाईलैंड अपने 22 और नीदरलैंड अपने 64 फीसदी कचरे को रीसाइकलिंग करने में सफल रहा है।

देश में बेरोजगारी घटाने के लिए सरकार ने कौशल विकास योजना शुरू की, जिसके अंतर्गत कई क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। देश में युवाओं की फौज खाड़ी है। 65 फीसदी आबादी 35 उम्र के अंदर है। बस जरूरत है इस युवा शक्ति के सही दिशा में उपयोग करने की। तो क्यों न कचरा प्रबंधन को कौशल विकास योजना में शामिल कर अप्रशिक्षित युवाओं को प्रशिक्षित कर कचरे के निपटारे के कार्य में लगाकर रोजगार दिया जाए तो एक तरफ बेरोजगारी की समस्या को भी कुछ हद तक कम किया जा सकता है. तो दूसरी तरफ कचरे की समस्या का समाधान भी हो सकता है।

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