दो साल पुरानी कौशल विकास योजना पर लगी ब्रेक, निगम ने नए आवेदन लेने का क्रम किया बंद

हमीरपुर : हिमाचल परिवहन निगम में कौशल विकास योजना के तहत चल रही कंडक्टर ट्रेनिंग को फिलहाल बंद कर दिया गया है। इस बावत जिला स्तर पर इस वर्ग से नए आवेदन लेने का क्रम बंद कर दिया गया है। निर्देशों के तहत अब केवल वहीं पर नए आवेदन हो सकेंगे, जहां कंडक्टर्स की बेहद कमी चल रही है या फिर वह आवेदक जिन्होंने एक माह पहले ही आवेदन कर दिया था, लेकिन उनका नंबर नहीं सका था।

1500 युवा ले रहे थे ट्रेनिंग

अचानक इस योजना पर जिस तरह से ब्रेक लगाने का कार्य हुआ है, वह भी सवाल पैदा करने लगा है। राज्य भर के 24 निगम के डिपो में इस योजना के तहत तय समय के लिए एक बैच से 1500 युवा ट्रेनिंग ले रहे थे। यह प्रकिया अचानक रुकने से बेरोजगारों में भी निराशा उत्पन्न हो गई है, क्योंकि जिला स्तर पर उनके नए आवेदन नहीं लिए जा रहे।

जिन्होंने पहले ही ट्रेनिंग के लिए निगम के पास जमा करवा रखा था, वही आवेदनों के तहत युवाओं को ट्रेंनिग की परमिशन दी जा रही है। जाहिर है नए बैचों के लिए आवेदन प्रकिया रुकने से जो आवेदक हैं, उन्हें बैरंग लौटने पर विवश होना पड़ रहा है। जो कंडक्टर्स भर्ती की जानी है, उसके तहत 1300 पदों को लिखित परीक्षा हो चुकी है। यही नहीं इससे पहले भी करीब 400 पद भरे गए हैं।

अनूप राणा, रीजनल मैनेजर , हिमाचल परिवहन निगम हमीरपुर का कहना है कि योजना के तहत नए आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। फिलहाल इसे बंद किया गया है। यदि ट्रेंनिग के लिए आवेदन लेने होंगे, तो निदेशालय से पहले परमिशन लेकर ही यह प्रकिया पूरी होगी। वैसे कंडक्टर्स की कमी भी नहीं है।

सरकार नहीं बना पाई पॉलिसी

ट्रेनिंगले चुके विजय कुमार, अशोक, पवन, मदन कुमार, अरुण, अजय, कर्ण का कहना है कि जो ट्रेनिंग ले चुके हैं उनके लिए पॉलिसी बननी चाहिए। प्राथमिकता के आधार पर उन्हें कंडक्टरों के पदों पर तैनाती मिलनी चािहए, लेकिन इस वर्ग के लिए कोई पॉलिसी नहीं बन सकी। जो बेरोजगार हैं, उनके लिए आगे से आवेदन प्रकिया रोक कर यह दर्शा दिया गया है कि जब पद खाली थे, तो इनके द्वारा कार्य चला कर अपने रूट्स पर बसाें को चलाया जाता रहा। जिन्होंने अहम योगदान दिया, उनको कोई पॉलिसी फ्रेम नहीं की जा सकी।

दो साल से चल रही थी योजना

पिछले करीब दो साल से इस योजना को शुरू किया गया था, जो कौशल विकास योजना के तहत ट्रेंनिग के लिए पहले 15 दिन ट्रेनिंग और फिर उनको बक्सा हैंडओवर किया जाता था। उनको सेवाएं देने की एवज में 15 रुपए प्रति घंटा यानि दिन में करीब 120 रुपए तक की राशि जारी होती थी। बैच वाइज आवेदकों को बुलाया जाता था, यानि हर डिपो में हर बैच में 50 के करीब ट्रेनियों को रखा जाता था। अब ताजा निर्देशों के तहत जिस डिपो में कंडक्टर्स की कमी होगी, वहां यदि जरूरत हुई तो ही नया आवेदन लिया जा सकेगा, उसके लिए भी निदेशालय स्तर से पहले परमिशन होगी। अब इस योजना के तहत युवाओं को कंडक्टर की ट्रेनिंग नहीं मिलेगी, जिस तरह से पिछले दो साल से मिल रही थी। ज्यादा जरूरत पड़ने पर परमिशन लेनी होगी।

इस प्रकिया के रुकने के पीछे निगम के अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं हैं, लेकिन इतना तय है कि पिछले दिनों हुए कंडक्टर भर्ती की परीक्षा के बाद ही इस योजना को बंद करने के दिशा-निर्देश जारी हुए हैं। अब जिन डिपो में कंडक्टरों की ज्यादा शॉर्टेज है वहां इन प्रशिक्षुओं से कार्य चलाना होगा। इसके लिए पहले हर डिपो को आवेदन लेने के लिए निदेशालय से परमिशन लेनी होगी। यह जरूरी नहीं है कि निदेशालय स्तर से इसके लिए तुरंत परमिशन मिल जाएगी। इसके लिए भी समय लग लग सकता है। इस योजना को पूरी तरह से ही बंद हो जाए, यह भी संशय अब बेरोजगारों में घर करने लगा है।

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