12 साल पहले 3 करोड़ रुपये की लागत से बने आईटीआई भवन में दो ट्रेड और 19 छात्र

अल्मोड़ा : एक तरफ सरकार युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए कौशल विकास पर जोर दे रही है तो दूसरी तरफ रोजगार का जरिया बनने वाले औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को मजाक बनाकर रख दिया गया है। हुक्मरानों की सोच किस कदर सतही है इसकी तस्वीर धौलछीना में देखें। यहां 12 साल पहले करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से सिर्फ दो ट्रेडों के लिए आईटीआई का विशाल भवन बना दिया, ट्रेड भी आशुलिपि हिंदी और कटिंग-टेलरिंग के। छात्र संख्या भी केवल 19। आईटीआई में लाखों की मशीनें कमरे में बंद पड़ी जंक खा रही हैं। रोजगार परक ट्रेड खोलते तो यहां युवा प्रशिक्षण लेने आते लेकिन इस बारे में सोचे कौन?
प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा तक में विचार शून्यता की बानगी प्रदेश में हर जगह देखी जा सकती है। धौलछीना में 2006 में आईटीआई की स्थापना के वक्त लोगों ने बच्चों के सुनहरे भविष्य के सपने देखे थे। हालांकि स्वीकृति के समय सिर्फ आशुलिपि हिंदी और कटिंग टेलरिंग दो ट्रेड खोले गए लेकिन लोगों को उम्मीद थी कि भवन बन जाने पर ट्रेड बढ़ेंगे। आईटीआई की शुरुआत किराए के भवन से हुई। पहले तो छात्र-छात्राओं ने इन ट्रेडों में भी प्रशिक्षण में रुचि दिखाई, लेकिन रोजगार परक नहीं होने केे कारण साल-दर-साल छात्रसंख्या कम होती गई। वर्ष 2015 में दोनों ट्रेडों में 28 छात्र-छात्राएं पंजीकृत थे। 2016 में 23 और 2017 में मात्र 19 छात्र-छात्राएं रह गए। इसकी मुख्य वजह प्रशिक्षण के बाद रोजगार न मिल पाना है।

इसके अलावा परीक्षा केंद्र नहीं होने से फाइनल परीक्षा और प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के लिए भी छात्र-छात्राओं को अल्मोड़ा आईटीआई जाना पड़ता है।
दो करोड़ 86 लाख की लागत से बने आलीशान भवन में बिजली, पानी, खेल मैदान, सीसीटीवी भी लगे हैं। नहीं हैं तो बस छात्र-छात्राएं। दो ट्रेडों में संविदा पर दो अनुदेशक रखे हैं। संस्थान के प्रधानाचार्य लाल सिंह बिष्ट ने बताया कि शासन से अभी तक नए ट्रेडों के लिए अनुदेशक नियुक्त नहीं हुए हैं। इस बारे में शासन स्तर से ही कार्रवाई होनी है।

एक साल पहले आईं मशीनें धूल फांक रही

2016 में तत्कालीन सरकार ने इलेक्ट्रिीशियन और कोपा दो नए ट्रेडों को स्वीकृति दी थी। इसके लिए कई भारी भरकम मशीनें भी संस्थान में पहुंच चुकी थीं जो अब स्टोर रूम में धूल फांक रही हैं। क्षेत्र वासियों का कहना है कि नई सरकार से भी इलेक्ट्रेशियन और कोपा ट्रेड खुलवाने के लिए कई बार गुहार लगाई गई है, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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