एविएशन क्षेत्र के लिए कौशल विकास विश्वविद्यालयों की स्थापना की बन रही है योजना : कौशल विकास मंत्री हेगड़े

बेंगलूरु : केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कहा है कि सरकार विमानन (एविएशन) क्षेत्र के लिए कौशल विकास विश्वविद्यालयों की स्थापना की योजना बना रही है। यह विश्वविद्यालय निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत स्थापित किए जाएंगे।

यहां शुक्रवार को बेंगलूरु चैंबर ऑफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स (बीसीआईसी) की ओर से आयोजित एयरोस्पेस एवं एविएशन सेमिनार में हेगड़े ने कहा कि विमानन एक उभरता उद्योग है और पिछले 5-10 वर्षों के दौरान इस क्षेत्र में बेशुमार अवसर सृजित हुए हैं। उनका मानना है कि हवाई यातायात और यात्रियों की संख्या के दृष्टिकोण से विमानन उद्योग में जो संभावनाएं हैं उस हिसाब से अगले 10-20 वर्षों के दौरान भारत विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। इस क्षेत्र में उप-उत्पादों और सहयोगी कंपनियों की संख्या सबसे अधिक है और इसलिए सरकार को इस क्षेत्र के लिए काम करना अनिवार्य है।

उन्होंने कहा कि जर्मनी और फ्रांस की विमानन कंपनियों ने भारत के साथ करार करने में रुचि दिखाई है लेकिन, जहां तक कौशल विकास की बात है तो इसके लिए अलग विश्वविद्यालय खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि एविएशन क्षेत्र के लिए न्यूनतम योग्यता इंजीनियरिंग या स्नातकोत्तर की उपाधि है इसलिए विमानन क्षेत्र की मानव संसाधन जरूरतों को पूरी करने के लिए निजी क्षेत्र कौशल विकास विश्वविद्यालय की स्थापना निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत करेंगे। इससे प्रासंगिक पाठ्यक्रम तैयार होंगे और उसकी गुणवत्ता सर्वश्रेष्ठ होगी।

बीसीआईसी एयरोस्पेस एवं एविएशन विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष अशोक सक्सेना ने कहा कि उद्योगों की मांग के साथ कार्यबल की उत्पादता बढ़ाना होगा साथ ही प्रशिक्षुओं की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए एक टिकाऊ आजीविका उपलब्ध कराने के लिए एक रूपरेखा तैयार करनी होगी। उनकी कुशलता बढ़ाने एवं सतत प्रशिक्षण देकर कौशल उन्नयन पर भी गौर करना होगा। उन्होंने कहा कि 30 फीसदी ऑफसेट नीति के तहत अगले 10 वर्षों में भारत का ऑफसेट बाजार 30 से 40 अरब डॉलर का हो जाएगा।

बीसीआईसी उपाध्यक्ष देवेश अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक-एयरोस्पेस एविएशन कारोबार में भारत सबसे बड़े बाजार के रूप में उभर रहा है। विश्व की दिग्गज वैश्विक एयरोस्पेस-एविएशन कंपनियां भारत के सस्ते श्रम, युवा एवं प्रतिभाशाली इंजीनियरों, तकनीनिशियनों और डिजाइनर्स का लाभ उठाने के लिए यहां विनिर्माण, डिजाइन इंजीनियरिंग अथवा एमआरओ केंद्र खोलना चाहती हैं। इस क्षेत्र के लिए उच्च कौशल वाले प्रतिभाशाली युवाओं की टीम बेहद जरूरी है।

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