स्किल काउंसिल्स पर सरकार सख्त, जॉब नहीं बढ़े तो नहीं मिलेगा फंड

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने इंडस्ट्री से स्किल्ड लोगों को ज्यादा से ज्यादा जॉब देने को कहा है। सरकार ने लोगों का कौशल बढ़ाने के लिए स्किल काउंसिल का गठन किया था, जो इंडस्ट्री पार्टनर्स की मदद से लोगों को रोजगार दिलवाने में मदद करती है। सरकार अपनी इस योजना के तहत काउंसिल को हर वर्ष फंड जारी करती है। सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि स्किल्ड लोगों को जॉब देने में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई तो वह भविष्य में दिए जाने वाले ऐसे फंड को रोक देगी और बिना खर्च की गई रकम वापस ले लेगी।

सरकार की इस सख्ती को 2019 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। आम चुनाव में मोदी सरकार को विपक्षी दल रोजगार पर घेरने की कोशिश कर सकते हैं। स्किल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री, नेशनल स्किल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएसडीसी) के तहत स्किल काउंसिल्स को फंड जारी करती है। मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स के मुताबिक स्किल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री ने सभी सेक्टर के स्किल काउंसिल्स से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके ट्रेनिंग पार्टनर स्किल्ड लोगों को अधिक से अधिक लोगों को नौकरी दिलवाएं। मिनिस्ट्री ने कहा है कि नौकरी में बढ़ोतरी के आंकड़े स्मार्ट पोर्टल पर भी दिखने चाहिए, जिसे खासतौर पर इसी काम के लिए बनाया गया है।

स्किल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री केंद्र द्वारा स्पॉन्सर्ड स्कीम प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के लिए भी फंड देती है। स्किल ट्रेनिंग के लिए यह भी एनएसडीसी की एक और फ्लैगशिप स्कीम है। 2017-18 में इस स्कीम के लिए 3,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जो 2015-16 के मुकाबले दोगुना है। 2015-16 में इस स्कीम के लिए सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था। सरकार के इस कदम के तर्क को समझाते हुए एक सीनियर ऑफिशियल ने ईटी के साथ बातचीत में कहा कि इंडस्ट्री अलग-अलग सेक्टर के हिसाब से स्किल काउंसिल के जरिए लोगों को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट देने का काम कर रही है। ऐसे में यदि वह खुद के ट्रेन्ड लोगों को अपने यहां जॉब पर नहीं रखेगी तो उन्हें कौन जॉब देगा।’ उन्होंने कहा कि लोगों को जॉब पर रखने की सीधी जिम्मेदारी इन्ही लोगों की है।

हालांकि आधे से ज्यादा सेक्टर की स्किल काउंसिल्स ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि भारत में डिमांड और सप्लाइ में बड़ा अंतर है, जिसके चलते इंडस्ट्री सभी ट्रेन्ड लोगों को जॉब पर नहीं रख सकती। इंडस्ट्री के लिए सभी लोगों को रखना मुश्किल चुनौती है।’ लेबर ब्यूरो के तिमाही सर्वे के मुताबिक 2015 में जॉब क्रिएशन की ग्रोथ छह साल के लो लेवल पर चली गई थी, 2015 में 1.35 लाख जॉब्स क्रिएट हुई थी। इससे पहले 2014 में 4.21 लाख और 2013 में 4.19 लाख रोजगार पैदा हुए थे।

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