कौशल विकास केंद्रों पर कौशल प्रशिक्षण के साथ अक्षर ज्ञान प्रदान करने की हुई पहल

नूंह : जिले में चल रहे कौशल विकास केंद्रों पर अब गांव की बहू-बेटियां कढ़ाई, बुनाई, सिलाई के अलावा अक्षर ज्ञान व स्वास्थ्य की पढ़ाई भी करेंगी। इसके लिए जिला प्रशासन ने खाका तैयार कर इसकी शुरुआत भी कर दी है। जिन बहू-बेटियों को पढ़ाई लिखाई का ज्ञान नहीं है, उन्हें कौशल विकास केंद्र पर आने वाली पढ़ी लिखी बहू-बेटी अक्षर ज्ञान कराएंगी और हस्ताक्षर करना भी सिखाएंगी। उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर समय-समय पर स्वास्थ्य के बारे में न केवल जानकारी दी जाएगी बल्कि खून की कमी से जूझ रही महिलाओं को डाइट चार्ट सहित वो तमाम बातें बताई जाएंगी जिससे वो अपने स्वास्थ्य को बेहतर रख सके। जिले के फिरोजपुर नामक गांव के कौशल विकास केंद्र पर यह अच्छी पहल हो चुकी है।

बता दें, कि जिले में 12 कौशल विकास केंद्र चल रहे हैं, फरवरी तक उनकी संख्या बढ़कर 30 होने की उम्मीद है। प्रशासन का दावा है कि जल्द ही इनकी संख्या पचास की जाएगी। जिनके जरिये करीब पांच हजार बहू-बेटियों को सिलाई-कढ़ाई, बुनाई, ब्यूटी के अलावा अक्षर ज्ञान व स्वास्थ्य की पढ़ाई कराई जाएगी।

ग्रुप के जरिये अक्षर ज्ञान :
उपायुक्त अशोक शर्मा ने इस पहल को अंजाम दिया है। उन्होंने केंद्र का निरीक्षण किया तो उन्होंने यहां प्रशिक्षण ले रही बहू-बेटियों को पढ़ाई लिखाई के बारे में जानकारी ली तो कुछ लड़की व महिलाएं ऐसी मिली जो पढ़ी हुई नहीं थी। उन्हें अक्षर ज्ञान तक भी नहीं था। इसके बाद उन्होंने पढ़ी लिखी लड़कियों व महिलाओं को अनपढ़ों को भी ग्रुप बनाकर क, ख, ग पढ़ाने के लिए कहा। इसका अब रिजल्ट भी दिखने लगा। एक सप्ताह के अंदर कुछ लड़कियां व महिलाएं क, ख, ग पढ़ने के साथ-साथ हस्ताक्षर करना भी सीख गई हैं। इस सकारात्मक पहल की पूरे गांव में चर्चा हो रही है और जिन्होंने अक्षर ज्ञान व हस्ताक्षर करना सीख लिया वो भी आत्मविश्वास से लबालब नजर आ रही हैं।

स्वास्थ्य भी होगा बेहतर:
नूंह जिले में करीब 90 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी (अनिमिया) की शिकार हैं। इसके पीछे फैमिली साइज का बड़ा होना, कुपोषण सहित कई कारण हैं। प्रशासन ने महिलाओं की इस नब्ज को टटोलते हुए फैसला लिया है कि सभी कौशल विकास केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर उनके न केवल स्वास्थ्य की जांच की जाएगी बल्कि उन्हें स्वस्थ्य रहने के उपाय भी बताए जाएंगे। इसके लिए बच्चों में अंतर रखने के तरीके, खून बढ़ाने वाले पोषक तत्व, खान-पान, फैमिली साइज और ज्यादा खून की कमी होने पर फ्री लगने वाले सुकरोज इंजेक्शन के बारे में बताया जाएगा। साथ ही महिलाओं से डाइट का एक चार्ज भी बनवाया जाएगा।

बताया जाएगा शिक्षा का महत्व:
शिक्षा विभाग के कुछ विशेषज्ञों द्वारा सप्ताह में एक-दो दिन पढ़ाई के महत्व के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी जाएगी। बेटियों की तालीम पर फोकस यहां अहम होगा। इसके पीछे प्रशासन का उद्देश्य है कि जो महिलाएं स्वयं तालीम से वंचित रह गई हैं, उससे उनकी बेटी-बेटा वंचित न रहे।

मैंने महसूस किया कौशल विकास केंद्रों पर बहू-बेटियों को स्वास्थ्य की पढ़ाई कराई जाए ताकि वो अपना और अपने परिवार का स्वास्थ्य बेहतर रख सकें। जिले में अधिकांश महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं। इसके साथ ही अनपढ़ महिलाओं को अक्षर ज्ञान कराया जाए, ताकि उनमें आत्मविश्वास बन सके और वो छोटा-मोटा हिसाब और लिखाई पढ़ाई कर सके। इसके लिए हम ग्रुप की ही पढ़ी-लिखी बहू-बेटियों के जरिये अनपढ़ों को सिखलाएंगे। शिक्षा के महत्व के बारे में विशेषज्ञों की जानकारी भी दिलाएंगे। ताकि यहां की महिला साक्षरता दर बढ़ सके। जल्द यह सभी कौशल विकास केंद्रों पर लागू होगा।

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