डीडीयू में स्किल डेवलपमेंट के 14 पाठ्यक्रमों को तीन साल से हरी झंडी का इंतजार

गोरखपुर : प्रधानमंत्री की स्किल्ड युवा तैयार करने महत्वाकांक्षी योजना की दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) में हालत ठीक नहीं है। यहां स्किल डेवलपमेंट के लिए तैयार किए 14 महत्वपूर्ण पाठ्यक्रमों को तीन साल से हरी झंडी का इंतजार है। यदि समय से पाठ्यक्रम लागू हो गए होते तो तीन साल में छह से आठ हजार तक स्किल्ड युवा तैयार हो गए होते। पूर्वांचल में कम से कम इतनी संख्या में बेरोजगारी तो दूर हुई ही होती।

केन्द्र सरकार ने वर्ष 2014 में पहली छमाही की समीक्षा के बाद पाया कि युवाओं की फौज तो है मगर तकनीकी रुप से दक्ष नहीं है। प्रधानमंत्री ने इसके लिए सभी विवि व तकनीकी शिक्षण संस्थानों का आह्वान किया कि वह स्किल डेवलपमेंट के पाठ्यक्रम तैयार करें और उसे अपने यहां लागू कर अधिक से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित करें। इसके बाद डीडीयू के पौढ़, सतत एवं प्रसार कार्य विभाग ने छह महीने से लेकर एक वर्ष तक के 14 ऐसे पाठ्यक्रम तैयार किए, जो पूर्वांचल को रोजगार देने में सक्षम थे।

इनमें वोकेशनल कोर्स से लेकर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व एडवांस डिप्लोमा कोर्स तक शामिल थे। छह महीने का वक्त लगा और एमएमएमयूटी, एमिटी लखनऊ, भौतिकी विभाग के प्रोफेसर मिहिर राय चौधरी आदि ने अध्ययन के बाद सभी कोर्सो को पास किया। विभाग की बोर्ड ऑफ स्टडीज ने 20 अगस्त 2015 को पास कर दिया। तत्कालीन कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने खुद पाठ्यक्रमों को देखा और डीडीयू के कर्मचारियों के लिए भी इसे काफी उपयोगी बताया। तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रो. लालजी त्रिपाठी ने प्रस्ताव पास कर फैक्ल्टी की मंजूरी के लिए भेज दिया।

फैकल्टी ने 28 अगस्त 2015 को बैठक बुलाई मगर पाठ्यक्रमों को मंजूरी नहीं दी जा सकी। एक सदस्य ने शिक्षकों की कमी का मामला उठाते हुए यह सवाल कर दिया था कि पढ़ाएगा कौन। हालांकि कोर्स तैयार करने वाले विभागाध्यक्ष ने यह दलील दी कि वह पढ़ाने की व्यवस्था उनके स्तर का काम है, फैकल्टी को केवल पाठ्यक्रमों को मंजूरी देनी है मगर उनकी दलील नहीं सुनी गई। हर कोर्स के लिए 50 से 70 तक सीटें रखी गई है। यानि यदि तीन साल पहले यह कोर्स लागू हो गए होते तो अब तक छह से आठ हजार तक स्किल्ड युवा तैयार हुए होते।

छह महीने से एक साल तक के कई रोजगार परक पाठ्यक्रम, फीस भी मामूली

विभाग द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रमों में सर्टिफिकेट कोर्स इन ऑटामेशन, सर्टिफिकेट कोर्स इन डीटीपी, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग इन सी प्लस-प्लस, जावा, वीवी डॉटनेट, डिप्लोमा इन कंप्यूटर अप्लिकेशन, डिप्लोमा इन कंप्यूटर हार्डवेयर मेंटीनेंस एंड नेटवर्क, एडवांस डिप्लोमा इन कंप्यूटर अप्लिकेशन, डिप्लोमा इन फैशन एंड टेक्सटाल्स डिजाइनिंग, सर्टिफिकेट कोर्स इन एंब्राइडरी एंड टेक्सटाइल डिजाइन, टेक्सटाइल प्रिंटिंग, कुकरी बेकरी, मोबाइल रिपेयरिंग एंड मेंटीनेंस, सर्टिफिकेट कोर्स ऑप कंप्यूटर कांसेप्ट और सी ट्रिपल प्लस आदि के 14 कोर्स शामिल हैं। इनकी फीस भी बहुत मामूली रखी गई है। पूरे कोर्स की फीस दो हजार से छह हजार रुपये तक रखी गई है। यह हाल तब है जब सभी कोर्स स्ववित्तपोषित हैं। इन कोर्सों की फीस निजी संस्थाओं में दो से ढाई गुने तक है।

ओपेन फॉर ऑल हैं सभी कोर्स

डीडीयू में कोर्स लागू करते वक्त तय हुआ था कि यह कोर्स इंटर पास सभी के लिए होंगे। किसी भी उम्र का इंटर पास व्यक्ति प्रवेश लेकर कोर्स पूरा कर सकता है। यदि कोई नौकरी में है तो उसके लिए भी पार्ट टाइम कोर्स की भी व्यवस्था है। यही कारण है कि तत्कालीन कुलपति ने पाठ्यक्रम देखने के बाद इसे विवि के कर्मचारियों के लिए बहुत उपयोगी करार दिया था।

डॉ. एके दीक्षित, अध्यक्ष, प्रौढ़ सतत एवं प्रसार कार्य विभाग, डीडीयू ने बताया कि पाठ्यक्रम तक लागू नहीं पाए थे, अब नए सिरे से इन्हें लागू कराने के लिए प्रयास शुरू किया जा रहा है। कुलपति महोदय व कुलसचिव से वार्ता हो चुकी है। जल्द ही इसे नए सिरे से फैकल्टी के पास भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद स्किल्ड युवा तैयार करने में मदद मिलेगी।

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