स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग का झांसा देकर 11 हजार छात्रों से 1 करोड़ से ज्यादा ठगे

रायपुर : स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग का झांसा देकर राजधानी और उसके आसपास के 11 हजार से ज्यादा छात्रों से 1.15 करोड़ की ठगी हो गई। कोलकाता की कंपनी ने 16 कोचिंग सेंटरों से अनुबंध किया और 6 महीने की ट्रेनिंग कराने का झांसा दिया। मगर तीन महीने की ट्रेनिंग दी, लेकिन किसी को प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। तीन माह से कंपनी आफिस का ताला बंद कर फरार है। पुलिस ने जांच के बाद केस दर्ज कर लिया है।

सिविल लाइन टीआई हेमप्रकाश नायक ने बताया कि ओडिशा भुवनेश्वर के जगन्नाथ दास, अशोक जैन और लक्ष्मण दास की आईटीएसएपीएल के नाम से कंपनी है। उनकी कंपनी स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग कराती है। उनकी कंपनी की पं. बंगाल और आंध्रा में ब्रांच है। कंपनी में योगेंद्र बारिक को-आर्डीनेटर है। उसने 2016 में स्केलिंग टेक एंड एजुकेशन सर्विसेस सेंटर से संपर्क किया। जहां सड्डू के बसंत वर्मा डायरेक्टर है। बारिक ने उन्हें बताया कि उनकी कंपनी भारत सरकार से मान्यता प्राप्त है, जो स्किल डेवलपमेंट पर ट्रेनिंग कराती है। ट्रेनिंग के बाद छात्रों को 8 हजार और सर्टिफिकेट दिया जाता है। बसंत आरोपियों से मिलने भुवनेश्वर गए। जहां उनका हेड ऑफिस है। वहां चार एग्रीमेंट किए। एग्रीमेंट में शर्त थी कि कंपनी 3 महीने और 6 महीने की ट्रेनिंग कराए। ट्रेनिंग के बाद सभी को सर्टिफिकेट दिया जाएगा और पैसे भी लौटाएंगे। उन्होंने कोर्स भी शुरू कर दिया। उनकी कंपनी में एक हजार से ज्यादा छात्र थे। इसी तरह 16 और कोचिंग सेंटरों ने एग्रीमेंट किया।

कंप्यूटर हार्डवेयर और मल्टीमीडिया की ट्रेनिंग
बेरोजगार छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर हार्डवेयर, मल्टीमीडिया, फिटर और मैकनिक की ट्रेनिंग दी जाती थी। तीन से चार महीने तक छात्रों को ट्रेनिंग दी गई। उसमें किसी एक्सपर्ट को नहीं बुलाया गया था। खाना पूर्ति के लिए ट्रेनिंग थी। तीन महीने का कोर्स पूरा हो गया, लेकिन किसी को सर्टिफिकेट नहीं दिया। जबकि उनसे नगद पैसे भी लिए थे। इसके अलावा कुछ और पैसे छात्रों से प्रोसेस के नाम पर लिए गए।

ऑफिस में ताला लगाकर कर्मचारी फरार
आरोपियों ने मौदहापारा रजबंधा मैदान के पास अपना ऑफिस खोला था। जहां योगेंद्र बारिक बैठता था। तीन महीने तक ऑफिस खुला रहा। फिर अचानक ताला लगाकर भाग निकले। सेंटर वाले दो महीने तक चक्कर काटते रहे। फिर पैसा लेने के लिए भुवनेश्वर भी गए। आरोपियों ने पहले तो पैसा लौटाने का वादा किया। छह महीने तक पैसे नहीं दिए। सेंटर वाले फिर वहां गए तो जान से मारने की धमकी दी और वहां से भागा दिए। इधर छात्रों ने भी सेंटर संचालकों को परेशान करना शुरू कर दिया था। तब पुलिस में शिकायत की गई। पुलिस ने जांच के बाद केस दर्ज कर लिया है। अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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