कौशल विकास केंद्र में बिना पढ़ाए कराई परीक्षा, खुद खाते खुलवा हड़पी स्कॉलरशिप

झज्जर : प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के नाम पर वजीरपुर गांव में युवक-युवतियों को धोखा देने का मामला सामने आया है। युवती को पेपर देने के बावजूद कम्प्यूटर कोर्स का सर्टिफिकेट नहीं मिला। वहीं, उसकी जानकारी के बगैर बैंक में खाता खुलवाकर 10 हजार रुपए जो स्कॉलरशिप आई, वह भी गुपचुप निकाल ली गई। युवती ने पुलिस में इसकी शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है। अब एक वर्ष से सेंटर पर ताला लगा है।

वहीं, पुलिस का कहना है कि अभी एक युवती ने शिकायत दी है, ऐसे पीड़ित और भी मिल सकते हैं। आरोपी ने खुद को पीड़ित बताते हुए कहा कि रोहतक की फर्म के कहने पर सेंटर खोला था, उसके साथ भी धोखा हुआ है। पुलिस गहनता से जांच करे तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।

वजीरपुर के हिंदयान पाने में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत तीन माह के मुफ्त कंप्यूटर कोर्स के लिए धर्मशाला में सेंटर खोला गया। इसमें 50 लड़के व 50 लड़कियों से प्रवेश के लिए फार्म भरवाए गए। आरोप लगाया गया है कि यहां कुछ दिन ही पढ़ाई करवाकर उन्हें सीधे पेपर में आने को कहा गया। पेपर देने के बावजूद युवाओं के सर्टिफिकेट नहीं आए। अब सेंटर पर पिछले एक वर्ष से ताला लटका है।

15 दिन पहले खाता खुलवाने गई तो खुला फर्जीवाड़ा
भगत सिंह व उनकी बेटी पूजा कादियान ने बेरी पुलिस को इस फर्जीवाड़े की शिकायत दी। पूजा ने कहा कि पहले गांव में इस बात का प्रचार किया गया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत कम्प्यूटर सीखने पर सरकारी डिप्लोमा मिलेगा। पूजा ने बताया कि उसे कम्प्यूटर की बेसिक नॉलेज थी।

इस वजह से उसे सेंटर आने से मना करके सीधे परीक्षा देने को कहा गया। रोहतक के छोटूराम चौक स्थित गोपाल काम्प्लेक्स में उसके पेपर हुए जल्द ही सरकारी सर्टिफिकेट आने की बात कही गई। पूजा ने बताया कि अब एक साल बाद भी सर्टिफिकेट नहीं आया। वहीं, पूजा को हैरानी इस बात की है कि 15 दिन पहले वो बेरी की पीएनबी ब्रांच में अपना खाता खुलवाने गई दस्तावेज देकर फार्म भरा तब बैंक की ओर से ही फोन आया कि खाता तो पहले खुल चुका है।

आरोपी बोला, मुझे रोहतक वालों ने ठगा, मेरे पैसे भी डूबे
आरोपी प्रदीप ने कहा कि उसने न तो किसी का खाता खुलवाया और न ही किसी के खाते से रकम निकलवाई। ये सभी आरोप झूठे हैं। कादियान ने कहा कि उसने गांव में सेंटर रोहतक के अंकित गर्ग के कहने से खोला था। इस एवज में उसे भी हर माह दस हजार रुपए मिलने थे, जबकि शिक्षक को छह हजार रुपए देने की बात हुई थी।

Note: News shared for public awareness with reference from the information provided at online news portals.