भोपाल : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के संचालन संबंधी नियमों में कई बदलाव किए हैं। अब कोई भी कॉलेज अपनी यूनिवर्सिटी के क्षेत्राधिकार में ट्रांसफर हो सकेगा। आरजीपीवी को प्रदेश स्तरीय मान्यता है अत: इससे संबद्ध कॉलेज पूरे प्रदेश में कहीं भी शिफ्ट हो सकेंगे। इसके अलावा और भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।
एआईसीटीई ने इस बार जारी हैंडबुक में कई नए बदलाव किए हैं। इसका फायदा नए सत्र की मान्यता व पुराने कोर्स के नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाले कॉलेजों को मिलेगा। नए नियम के तहत कॉलेज अब अपनी यूनिवर्सिटी के क्षेत्राधिकार में कहीं भी शिफ्ट हो सकेंगे। खासकर आरजीपीवी का दायरा पूरे प्रदेश में होने के कारण इससे संबद्ध कॉलेजों को अपनी लोकेशन प्रदेश के किसी भी स्थान पर करने का अधिकार होगा।
पिछले साल तक कॉलेजों को केवल 20 किमी के ही दायरे में संस्थान की लोकेशन शिफ्ट करने का अधिकार था। एसोसिएशन आफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टिट्यूशन (एटीपीआई) के चेयरमैन जेएन चौकसे का कहना है कि संगठन अपने अंतर्गत आने वाले कॉलेजों को लोकेशन शिफ्ट करने के प्रति प्रोत्साहित करेगा। अभी प्रदेश के करीब 70 फीसदी कॉलेज भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर में ही स्थित है। अगर कॉलेज अपनी लोकेशन अन्य जिलों में बदलाव के लिए सहमत होते हैं तो इसका फायदा जिला स्तर के छात्रों को होगा।
पुरानी बिल्डिंग में ही शुरू होंगे अतिरिक्त कोर्स
नाॅन टेक्निकल इंस्टीट़्यूट जो एमसीए व एमबीए और यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट्स जो एमबीए, एमसीए, एमफार्मा व एमटेक कोर्स का पहले से चल रहे कोर्सेस के अलावा अप्रूवल चाह रहे हैं उनके लिए अलग से बिल्डिंग बनाने व प्रिंसिपल की नियुक्ति की जरूरत नहीं होगी। लेकिन ऐसे संस्थानों को एचओडी, फैकल्टी व इंफ्रास्ट्रक्चर मापदंड के अनुसार रखना जरूरी होगा।
डिप्लोमा से डिग्री लेवल में बदलाव की भी सुविधा
एक अन्य नए नियम के तहत एअाईसीटीई ने डिप्लोमा लेवल से डिग्री लेवल में संस्थान को परिवर्तन करने की भी इस बार सुविधा दी है। प्राइवेट संस्थान जो डिप्लोमा लेवल से डिग्री लेवल में बदलाव करना चाहते हैं उन्हें बतौर फीस 7 लाख रुपए जमा करना होगा। यह सुविधा उन्हीं संस्थानों को मिलेगी जिन्हें कम से कम पांच साल हो चुके हों। यह बदलाव केवल रेगुलर व प्रथम शिफ्ट में संचालित कोर्स का ही होगा। संस्थानों को कोर्सेस मर्ज करने की अनुमति नहीं हाेगी। संस्थानों को इस बदलाव के लिए जमीन संबंधित नियमों में छूट नहीं मिलेगी। यह नियम पहली बार अप्रूवल की हैंडबुक में शामिल किया गया है।
इस बार यह नए बदलाव भी
नए नियमों के तहत सत्र 2017-18 में ट्रांसजेंडर वर्ग के स्टूडेंट्स को भी कोएड संस्थानों में एडमिशन मिलेगा। एआईसीटीई ने इस बार ट्रांसजेंडर को भी मौका दिया है। पिछले एकेडेमिक सत्र में काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर से अप्रूवल प्राप्त संस्थानों जो पहली बार एआईसीटीई से अप्रूवल चाह रहे हैं उन्हें नए संस्थान के रूप में आवेदन करना होगा। प्रोसेसिंग फीस तीन लाख रुपए। राज्य सरकार व संबंधित विवि को कॉलेजों के आवेदन के संबंध में अपनी राय आवेदन मिलने के बाद 21 दिन के अंदर एआईसीटीई के रीजनल ऑफिस में भेजनी होगी। पहले यह समय सीमा 15 दिन थी। ऐसे संस्थान जिनमें संचालित पाठ्यक्रमों में पिछले पांच साल से लगातार अप्रूव्ड सीटों पर 30 प्रतिशत से कम एडमिशन हो रहे हैं उन्हें अगले सत्र से बंद करने की अनुमति दी जा सकेगी। वे संस्थान जिनके कोर्स नेशनल बोर्ड आॅफ एक्रेडिटेशन से एक्रेडिटेड हैं उन्हें केवल एक बार ही सीटों में वृद्धि या अतिरिक्त कोर्स शुरू करने की मंजूरी दी जाएगी।
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