ब्रिक्स देश आपस में मिलकर शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाएंगे

नई दिल्ली (वार्ता)। ब्रिक्स के सदस्य देश शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, कौशल विकास करने एवं नवाचार के क्षेत्र में एक दूसरे का सहयोग करेंगे तथा भारत और चीन से पारम्परिक चिकित्सा के गुर भी सीखेंगे। ब्रिक्स देशों के शिक्षा मंत्रियों की चौथी बैठक में आज यहाँ जारी दिल्ली घोषणा पत्र में इन देशों के प्रतिनिधियों ने यह फैसला किया ।

घोषणा पत्र पर भारत के अलावा ब्राकाील, चीन, रूस और दक्षिण अफ्रीका ने हस्ताक्षर किये। बैठक की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय ने पत्रकारों को बताया कि 14 सूत्री घोषणा पत्र में सभी सदस्य देश एक दूसरे को उच्च शिक्षा, शोध एवं अनुसंधान तथा नवाचार और कौशल विकास के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट परम्पराओं और ज्ञान को आपस में साझा करेंगे और लाभान्वित होंगे तथा एक दूसरे से सीखेंगे।

उन्होंने बताया कि इस घोषणा पत्र के तहत ब्रिक्स देशों के छ: विशिष्ट प्रोफेसर भारत के विश्वविद्यालयों में आकर अपने ज्ञान से छात्रों को लाभान्वित करेंगे और इस तरह भारत के छह चुनींदा प्रोफेसर ब्रिक्स देशों में जाकर वहां के छात्रों को पढ़ाएंगे।

इसके अलावा हर साल ब्रिक्स नेटवर्क यूनिवर्सिटी का वार्षिक सम्मलेन भी आयोजित किया जाएगा। यह सम्मलेन बारी-बारी से उस देश में होगा, जो ब्रिक्स का अध्यक्ष होगा। पाण्डेय ने बताया कि ब्रिक्स के सदस्य देश तकनीकी एवं व्यायसायिक शिक्षा और उद्यमशीलता के क्षेत्र में भी एक दूसरे देश को सहयोग करेंगे जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि सूचना एवं प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में एक-दूसरे को मदद करने के लिए प्रत्येक देश में एक नोडल संस्थान भी खोला जाएगा जो मुक्त शिक्षा, ई-पुस्तकालय, ई-पाठ्य सामग्री आदि के क्षेत्र में सहयोग करेंगे । उन्होंने यह भी बताया कि सदस्य देश एक दूसरे देश में अपनी डिग्रियों प्रमाणपत्रों को मान्यता देने की दिशा में काम करेंगे और प्रमाणन बोर्ड से एक दूसरे को सीखने का भी अवसर प्रदान करेंगे।

चीन के उप शिक्षा मंत्री हाओ भपग ने बताया कि गत वर्ष चीन में विदेशी छात्रों की संख्या तीन लाख 97 हज़ार थी जिसमें 36 हज़ार ब्रिक्स देशों के थे और 31 हज़ार चीनी छात्रों ने ब्रिक्स देशों में जाकर पढ़ाई की ।

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