3 लाख से अधिक सुरक्षा गार्डोँ को कौशल विकास प्रशिक्षण देने की हुई घोषणा

नई दिल्ली : औद्योगिक संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित निजी सुरक्षा उद्योग सम्मेलन (पीएसआईसी) में जहां 17 सिक्युरिटी गार्ड एजेंसियों ने शिरकत की, वहीं उन्होंने केन्द्र सरकार की योजना ‘रिकगनेशन ऑफ प्रियोर लर्निग (आरपीएल)’ के तहत 3 लाख से अधिक सुरक्षा गार्डोँ को प्रशिक्षण देने की घोषणा की। सम्मेलन में सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेस (एसआईएस) ग्रुप-4 सिक्योरिटी, एनआईएसए और एसएमएस सिक्योसिटी देश की कई सिक्योरिटी गार्ड एजेंसियों के प्रबंध निदेशकों और मुख्य कार्यकारी अधिकरियों ने हिस्सा लिया व कंपनियों ने उद्यमिता और व्यावसायिक कौशल परिषद (एमईपीएससी) के साथ एमओयू साइन किए।

गौरतलब है कि सरकार की आरपीएल योजना अनौपचारिक शिक्षा सीखने का एक मंच है। इस योजना को गवरमेंट ऑफ इंडिया मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रिनियोरशिप ने लांच किया है। इस मौके पर केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने 300 उद्योग के प्रमुख से कहा कि आरपीएल की चुनौतियों का सामना करने के लिए उद्योग के कर्मचारियों को स्कील्ड बनाने की जरूरत है। इसके लिए उन्हें सरकार के साथ भागीदारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को और अधिक औपचारिक बनाने की जरूरत है।

अन्य विकसित देशों में स्किलिंग, रीस्कलिंग और अपस्कलिंग उद्योग का काम है और इस सरकार के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी है। सरकार ने उद्योग में दृढ़ विश्वास दिखाया है और नीति को आरपीएल ४.० में बदल दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में नियोक्ता कार्यबल को बढ़ाने और उन्हें स्किलिंग पारिस्थितिक तंत्र के तहत लाने की आवश्यकता है आरपीएल प्रमाणीकरण देश में विभिन्न कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बाद प्रमाणन के बराबर होगा।

फिक्की की एक विज्ञप्ति के अनुसार, सम्मेलन में ‘प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्रीय : जॉब क्रिएशन एंड स्किल डेवलपमेंट’ नाम से फिक्की-बीडीओ की एक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट में प्राइवेट सिक्योरिटी इंडस्ट्री में कौशल विकास और रोजगार सृजन पर विचार किया गया है।

बीडीओ इंडिया के एसोएिसट पार्टनर कमोडोर गौतम नंदा ने कहा कि इस उद्योग में 89 लाख कर्मी कार्यरत हैं और 2022 तक इसमें 31 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि उद्योग का कारोबार 57,000 करोड़ रुपये है और 2022 तक यह बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपये तक होने की उम्मीद है।

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