आईटीआई संस्थानों ने दबाए सरकार के 300 करोड़ रुपए, पूछा हिसाब तो बोले, नहीं मालूम नियम

भोपाल : प्रदेश के बदहाल आईटीआई की तस्वीर बदलने में सरकार के सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। आईटीआई संस्थानों को विकास के लिए प्रदेश की हर आईटीआई को तीन करोड़ रुपए दिए गए थे। इन्हें राशि देकर न तो सरकार ने सुध ली और न ही आईटीआई संस्थानों ने धेले भर की राशि विकास पर खर्च की। सरकार को सुध तब आई जब केन्द्र ने अपने पैसे का हिसब मांगा, अब इस राशि को कैसे खर्च करें, यह इन कालेजों को समझ नहीं आ रहा है।

केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने बर्ष 2007 में प्रदेश के 75 सरकारी कालेजों में इन्ट्रास्ट्रक्चर डेव्लपमेंट और अन्य सुविधाओं के विकास के लिए हर कालेज को तीन करोड़ रूपए दिए थे। इन कालेजों से कहा गया था कि वे इस राशि को बैंक में रखें और एक कार्ययोजना बनाकर अपने कालेजों के विकास में इस राशि को खर्च करें। केन्द्र का सुझाव था कि इस राशि से कालेज अपने आय के संसाधन भी विकसित करें। यह राशि केन्द्र को दस साल बाद लौटानी थी।  राशि के कालेजों में पहुुंचने के बाद सरकार ने इसे बैंक में जमा करवा दिया पर इसे खर्च करने के लिए कोई योजना नहीं बनाई। सूत्रों की माने तो हाल ही में केन्द्र सरकार ने तकनीकी शिक्ष विभाग को एक पत्र भेजकर इस राशि में से अब तक उपयोग हुए पैसे का युटिलाईजेशन सार्टिफिकेट भेजने को कहा तो विभाग हरकत में आया। उसने इस संबंध में प्राचार्यो से पूछताछ की तो पता चला कि तीन कालेजों को छोड़कर किसी भी कालेज ने इस राशि में से एक धेला खर्च नहीं किया। प्राचार्यो का कहना था कि राशि कैसे खर्च करना है इसके उन्हें नियम ही नहीं मालूम। अब यह राशि कैसे खर्च हो इसके लिए कमेटी बनाई जा रही है।

मंत्री, पीएस मौके पर जाकर देखेंगे प्लान

अब तकनीकी शिक्षा मंत्री दीपक जोशी, प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव, डायरेक्टर समेत पांच अफसरों की एक कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी अब आईटीआई संस्थानों का दौरा करेगी और मौके पर ही इस आईटीआई के विकास का प्रारंभिक प्लान तैयार करवा कर उस पर काम शुरू कराएगी। इसके लिए टोंक खुर्द के आईटीआई के प्राचार्य समेत तीन प्राचार्यो की एक अलग कमेटी बनाई गई है जो इस काम को अंजाम देने में महत्वूपर्ण भूमिका निभाएगी।

तकनीकी शिक्षा विभाग ने मांगे रोजगार कार्यालय

प्रदेश में रोजगार कार्यालय किस विभााग के अंडर में हों इसे लेकर अब आने वाले दिनो में तकरार बढ़ सकती है। सूत्रों की माने तो तकनीकी शिक्षा विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार कर रोजगार कार्यालयों को तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग के अधीन करने को कहा है। अभी रोजगार कार्यालय उद्योग विभाग के अधीन आते हैं। सूत्रों के मुताबिक तकनीकी शिक्षा विभाग का कहना है कि वह अपने वह अपने यहां प्लेसमेंट सेल बना रहा है। ऐसे में रोजगार कार्यालय उसके अधीन होना चाहिए ताकि इनसे वह अपने हिसाब से काम करा सके। गौरतलब है कि पूर्व में जब प्रदेश में जनशक्ति नियोजन विभाग था तब रोजगार कार्यालय इसी विभाग के अधीन हुआ करते थे बाद में यह व्यवस्था बदल गई है। इस प्रस्ताव को सीएम की अध्यक्षता में होने वाली अगली रोजगार कैबिनेट में रखा जाएगा।

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