देहरादून: उत्तराखंड में हिचकौले खा रही राज्य कौशल विकास योजना को पटरी पर लाने के लिए सरकार अब स्थानीय संस्थाओं को तवज्जो देने जा रही है। इस कड़ी में सेवा शर्ताें में शिथिलता देने को गहनता से मंथन चल रहा है। सरकार का मानना है कि इससे जहां तीन माह से ठप पड़ी यह योजना रफ्तार पकड़ेगी, वहीं स्थानीय संस्थाओं के लिए रोजगार के दरवाजे खुलेंगे और वे पूरी शिद्दत से युवाओं को ट्रेंड कर पाएंगी। यही नहीं, प्रशिक्षण देने वाली संस्थाएं राज्य की होंगी तो इन पर अंकुश बना रहेगा और गड़बड़झाले की आशंका भी नहीं रहेगी।
केंद्र सरकार देशभर में युवाओं के कौशल विकास पर जोर दे रही है। इस कड़ी में उत्तराखंड में भी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना और उत्तराखंड कौशल विकास योजना संचालित है। दोनों योजनाओं में 2022 तक राज्य के करीब एक लाख युवाओं को उन ट्रेडों में पारंगत किया जाना है, जिनमें उनकी रुचि है। इसके लिए करीब 31 ट्रेड में 577 पाठ्यक्रम निर्धारित किए गए हैं। युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र खोले गए हैं, जहां विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से युवाओं के कौशल विकास में वृद्धि की जानी है।
प्रदेश में युवाओं के भविष्य से जुड़ी इस अहम योजना पर नजर दौड़ाएं तो प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना तो चल रही है, मगर उत्तराखंड कौशल विकास योजना पिछले तीन माह से एक प्रकार से ठप पड़ी है। असल में उत्तराखंड कौशल विकास योजना के तहत खुले प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षण के लिए जिन संस्थाओं व फर्माें को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं उनमें अधिकांश बाहरी राज्यों की हैं।
पूर्व में कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों की जांच पड़ताल में ये बात सामने आ चुकी है कि कई जगह संस्थाओं ने प्रशिक्षण केंद्र सबलेट कर दिए। नियमानुसार जिसे जिम्मेदारी दी गई है, प्रशिक्षण भी उसी संस्था को देना है। यही नहीं, कई जगह सिस्टम की हीलाहवाली के चलते प्रशिक्षण केंद्र खुल ही नहीं पाए। करीब तीन माह पहले परियोजना निदेशक के हटने के बाद से तो स्थिति और खराब होती चली गई। वर्तमान में तो योजना करीब-करीब रसातल की ओर पहुंच गई है। ऐसे में इसके भविष्य को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
डॉ.हरक सिंह रावत, कौशल विकास मंत्री, उत्तराखंड ने कहा कि ‘उत्तराखंड कौशल विकास योजना लगभग बंद सी पड़ी है। इसे देखते हुए कौशल विकास प्रशिक्षण को नियुक्त की जाने वाली संस्थाओं के लिए सेवा शर्ताें को शिथिल किया जाएगा। यह ऐसी होंगी कि राज्य की संस्थाओं को अधिक तवज्जो मिले। योजना से जुड़े सभी पहलुओं को लेकर इसी हफ्ते शासन में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। कोशिश ये है कि अगले साल जनवरी से योजना फिर रफ्तार पकड़ ले।’
अब सरकार ने राज्य की कौशल विकास योजना को फिर से पटरी पर लाने की ठानी है। इसके लिए कवायद प्रारंभ कर दी गई है। प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं के लिए सेवा शर्ताें को शिथिल करने को मंथन चल रहा है। प्रयास ये है कि इनके जरिये राज्य की संस्थाओं को ही प्रशिक्षण देने के लिए अधिकृत किया जा सके। यही नहीं, कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों की नियमित मॉनीट¨रग पर भी खास फोकस करने की तैयारी है।
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