आखिर खुल ही गया राजस्थान कौशल विकास एवं आजिविका विकास निगम का फर्जीवाड़ा, 2 लाख 787 उम्मीदवारों का कोई पता नहीं

देश में भले ही कौशल विकास के नाम पर रोजगार पैदा करने और रोजगार देने के वादें किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। आजतक की पड़ताल में कई सच सामने आए हैं और यह सच वादों को झूठा साबित कर रहे हैं। दरअसल पिछले तीन साल में लाखों लोग प्रशिक्षित हुए, लेकिन नौकरियां हजार से भी कम मिली है। इस हैरतअंगेज आंकड़ों के खेल का सच ये है कि दरअसल प्रशिक्षण के नाम पर गोरखधंधा चल रहा है। आजतक की टीम ने राजस्थान कौशल विकास एवं आजिविका विकास निगम के कई सेंटर की पड़ताल की, जहां या तो कई सेंटर बंद मिले या फिर कोर्स के नाम पर खानापूर्ति मिली।

इस दौरान पता चला कि जयपुर जिले का रेनवाल सेंटर बंद पड़ा था, तो मदरामपुरा में कोई सेंटर नही मिला जबकि चाकसू में भी सेंटर दो साल पहले खाली हो चुका था। मकान मालिक ने बताया यहां तो दो साल सेंटर चला और फर्जी ही चला। रेनवाल सेंटर के संचालक पप्पू कुमार चौधरी ने माना की गड़बड़ी होने की वजह से उसका सेंटर बंद हुआ था। दरअसल कौशल देने के नाम पर राजस्थान में राज्य सरकार के करीब दो सौ सेंटर तो केंद्र सरकार के 257 सेंटर चल रहे हैं। यानी यूपी में केंद्र सरकार के 325 सेंटरों के बाद सबसे ज्यादा सेंटर राजस्थान में हीं है।

हालांकि इस पड़ताल में सामने आए प्रधानमंत्री रोजगार कौशल आंकड़े चौंकाने वाले है। यह आंकड़ें मार्च 2015 से लेकर 30 सितंबर 2017 तक के हैं। इसमें प्रशिक्षण के लिए पंजीकृत युवा 6 लाख 81 हजार 838 है। इनमें से 4 लाख 78 हजार सात हैं। वहीं 687 उम्मीदवारों को नौकरी मिली है, जिसमें स्वरोजगार करने वाले 339 उम्मीदवार, 133 उम्मीदवार अपरेंटिस हैं। जबकि 2 लाख 787 उम्मीदवारों का कोई पता नहीं है।

आंकड़ों के अनुसार करीब सात लाख लोगों ने प्रशिक्षण हासिल किया, लेकिन रोजगार और स्वरोजगार एक हजार के आसपास है। वहीं राजस्थान सरकार के अधिकारियों को इन आंकड़ों और फर्जी सेंटर के बारे में बताने पर उन्होंने कहा कि कुछ सेंटर केंद्र सरकार ने सीधे दे रखे हैं, उनपर तो फर्जीवाड़ा चल रहा है लेकिन जो सेंटर हमारे अधीन हैं उनके डाक्यूमेंट हमारे पास है। साथ ही राजस्थान सरकार के अधिकारी कह रहे हैं कि हमें सात साल में डेढ़ लाख लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़े, लेकिन केंद्र सरकार का दावा है कि ढाई साल में हीं पौने सात लाख लोगों को स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग दे दी।

केंद्र सरकार ने अपने सभी सेंटर राजस्थान सरकार को सौंपने का प्रस्ताव रखा है। रोजगार एवं आजीविका मिशन के डिप्टी डायरेक्टर रमेंद्र शर्मा का कहना है कि इसलिए रोजगार मेलों का भी आयोजन हो रहा है, मगर महज 250 लोगों को नौकरी दिलवा सके हैं।  कौशल विकास के नाम पर जिस तरह से कागजों में दुकानें खुली है, उसे देखकर लगता है कि कुछ लोगों ने पैसे कमाने के स्कील जरुर सीख लिए हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने राजस्थान को 2016-18 के कौशल विकास के मद में 28 करोड़ 38 लाख 71 हजार 578 रुपए आवंटित किए हैं जिसकी पहली किश्त 14 करोड़ 19 लाख 35 हजार 789 राजस्थान को जारी कर दी गई है।

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