कौशल विकास से होगा किन्नरों का उत्थान, टाटा स्टील करेगी सहयोग

जमशेदपुर : किन्नरों (trans genders) के प्रति आम धारणा यह है कि इन्हें सज-संवरकर कूल्हे मटकाने के सिवा कुछ नहीं आता लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। ये भी आम इंसान की तरह बहुत कुछ कर सकते हैं। इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए एफपीए (फुलफिलिंग पीपुल्स एस्पिरेशंस)(FPA)-इंडिया नामक स्वयंसेवी संस्था आगे आई है। सोमवार को केबुल टाउन में किन्नरों के लिए कौशल विकास पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि गुलमोहर स्कूल की प्राचार्य सुनीता सिन्हा व टाटा स्टील के हेड (अर्बन सर्विसेज, स्पेशल प्रोजेक्ट) गोविंद माधव शरण उपस्थित थे।

अपने संबोधन में सुनीता सिन्हा ने जहां किन्नरों द्वारा निर्मित हस्तकला उत्पादों की तारीफ की, वहीं जीएम शरण ने कहा कि किन्नर एकजुट होकर आगे बढ़ें, तो टाटा स्टील दुकान, मेला, प्रदर्शनी समेत अन्य माध्यमों से इनके लिए बाजार उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि अपंग लोगों के साथ भी काफी समय तक समाज में दु‌र्व्यवहार होता रहा, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसी तरह की बात किन्नरों के साथ भी है। समाज ने अब तक इनका एक ही रूप देखा है। टाटा स्टील ने हमेशा से उपेक्षित लोगों के उत्थान के लिए काम किया है। केबुल वेलफेयर हॉल में हुए कार्यक्रम का संचालन एफपीए की जिला प्रमुख पद्मा व धन्यवाद ज्ञापन सचिव रानी मरौली ने किया। अंत में किन्नरों ने फिल्मी गानों पर जमकर नृत्य किया।

किन्नरों का प्रतिनिधित्व कर रही बोकारो से आई संजना किन्नर ने कहा कि उनके समाज में एकजुटता का अभाव है। हमें वर्ष 2014 में थर्ड जेंडर के रूप में पहचान मिली, लेकिन यह अभी तक कागज में ही है। जब तक किन्नर एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आगे नहीं आएंगे, हमारा भला नहीं होगा। संजना ने कहा कि हम भी इंदिरा आवास, लाल कार्ड, सस्ते दर पर राशन, मुफ्त स्वास्थ्य आदि के हकदार हैं, लेकिन हमें इससे वंचित रखा जा रहा है। उत्थान व शुभकामना फाउंडेशन नामक स्वयंसेवी संस्था के सहयोग से हुए कार्यक्रम में जमशेदपुर, रांची, बोकारो, भद्रक (ओडिशा) व कोलकाता आदि शहरों से 67 किन्नर आए थे।

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