सागरमाला परियोजना: एक करोड़ लोगों को मिलेगा रोजगार

नई दिल्ली. केंद्र सरकार की ‘सागरमाला’ परियोजना देश के बंदरगाहों को ही नहीं, बल्कि देश की सीमाओं पर सेनाओं के परिवहन को भी आसान बनाएगी। वहीं इस परियोजना से देश की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा यानि ‘सागरमाला’ कार्यक्रम के जरिए देश में सभी बंदरगाहों का सड़क संपर्क हर साल 40 करोड़ रुपये की लागत को बचाएगा। केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की 70 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली ‘सागरमाला’ परियोजना को लेकर केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। देश में शुरू की गई ‘सागरमाला’ परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए सरकार ने इससे संबन्धित कई अन्य योजनाओं को भी पटरी पर उतारा है। सरकार का इस परियोजना के जरिए अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ समुद्री कारोबार को प्रोत्साहन देते हुए लॉजिस्टिक्स लागत में ज्यादा से ज्यादा कमी लाना पहली प्राथमिकता है।

कौशल विकास को महत्व
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद देश में करीब 40 हजार करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। इस मकसद को पूरा करने के लिए सरकार को तटीय शिपिंग को बढ़ावा देते हुए देश में मौजूद बंदरगाहों में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ व्यापक सुधार करना जरूरी होगा। खासकर इस सुधार के लिए पहले ऐसे बंदरगाहों को चुनना होगा, जहां पर ज्यादा से ज्यादा माल लाया भी जा सके और उतारा भी जा सके। हालांकि जहाजरानी मंत्रालय ने बंदरगाहों के अत्याधुनिक सुधार की योजनाओं को भी तेजी के साथ पटरी पर उतारा हुआ है, जिनका सकारात्मक नतीजा भी कई बंदरगाहों से सामने आ चुका है। रिपोर्ट के अनुसार नौवहन क्षेत्र में 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से अकेले सागरमाला कार्यक्रम के जरिए ही एक करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकेगा, जिसके लिए कौशल विकास को महत्व दिया जा रहा है।

क्या है सागरमाला परियोजना
देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सागरमाला परियोजना की शुरूआत पिछले वर्ष की गई थी, इसके तहत देश के चारों ओर सीमाओं पर सड़क परियोजनाओं में 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र को जोड़ने के लिए नेटवर्क विकसित किया जाना है। बंदरगाहों को जोड़ने की योजना के तहत रेल मंत्रालय 20 हजार करोड़ रुपए की लागत से 21 बंदरगाह-रेल संपर्क परियोजनाओं पर काम शुरू करेगा। इस परियोजना का मकसद बंदरगाहों पर जहाजों पर लदने और उतरने वाले माल का रेल रेल और राष्ट्रीय राजमार्गो के जरिए उनके गंतव्य तक सागरमाला से पहुंचाना है। इस परियोयजना में बंदरगाहों के विकास और नए ट्रांसशिपिंग पोर्ट का भी निर्माण भी शामिल है, ताकि बंदरगाहों की क्षमता बढ़ाई जा सके। जाहिर सी बात है कि इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं इसके तहत 27 इंफ्रास्ट्रक्चर क्लस्टरों का विकास होने से करीब एक करोड़ रोजगार भी सृजित होंगे। सरकार की जारी रिपोर्ट पर भरोसा करें तो सागरमाला देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर की तस्वीर बदल देगी।

अमेरिका भी सहयोग मिला सहयोग
भारत की सागरमाला परियोजना के तहत समुद्री तटों के विकास के लिए भारत के साथ अमेरिका भी मिलकर कार्य कर रहा है। अमेरिका को नए बंदरगाहों को बनाने और उनके विकास के लिए पूंजी निवेश को भी आमंत्रित किया। इस दौरान काम कर रहे बंदरगाहों पर नए टर्मिनल बनाने, तटीय इलाकों में आर्थिक क्षेत्र बनाने, जहाज बनाने, उनकी मरम्मत करने और जहाजों के विकास पर भी बात हुई। बंदरगाहों और सुविधाओं के विकास से भारत और अमेरिका के बीच की समुद्री यात्रा को घटाकर पांच दिन किया जा सकता है। इस परियोजना के जरिए समुद्री कारोबार की तस्वीर बदलने के इरादे से बंदरगाह आधारभूत ढांचे के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश का भी अप्रैल में मुंबई में हुए मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन के दौरान 140 व्यापारिक करार करके निवेश का एक खाका तैयार किया जा चुका है, जिसमें 140 परियोजनाओं के लिए करीब 13 अरब डालर (83 हजार करोड़ रुपए) का निवेश होगा।

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