नई दिल्ली : केंद्र सरकार गरीबी उन्मूलन के महत्वपूर्ण अभियान ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत कौशल विकास कार्यक्रम में भागीदारी करने वालों को यात्रा भत्ता देने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम. वैंकैया नायडू की अध्यक्षता में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन की संचालन परिषद की तीसरी बैठक में इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया गया। बैठक में इस अभियान को विभिन्न स्तर पर अधिक सशक्त करने के कदमों व्यापक रूप से चर्चा की गई। बैठक में कहा गया कि अभियान के अंतर्गत कौशल विकास कार्यक्रम में भागीदारी करने के लिए गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले (बीपीएल) लोगों को यात्रा भत्ता दिया जाना चाहिए।
सार्वजनिक उपक्रमों से भवन निर्माण के लिए ली जाएगी भूमि
इसके अलावा महानगरों में बेघर लोगों के लिए आश्रय स्थल बनाने हेतु राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को भवन किराए पर लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। आश्रय स्थलों की स्थापना में तेजी लाने के लिए रेल सहित अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से भवन निर्माण के लिए भूमि लेने, कार्पोरेट सामाजिक दायित्व प्रोत्साहन को सहयोग देने और आश्रय स्थलों के संचालन के लिए प्रतिष्ठित सामाजिक संगठनों की सहायता लेने को भी कहा गया है। इस निर्णय से राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को शहरी बेघर लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिए अधिक विकल्प मिलेंगे।
शहरों में रोजगार देने में कौशल विकास की है अहम भूमिका
सूत्रों के अनुसार शहरी क्षेत्र में आजीविका उपलब्ध कराने में इस अभियान की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्ष 2016-17 के दौरान दो लाख 36 हजार 218 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 155 प्रतिशत अधिक है।
कौशल विकास के तहत दिव्यांगों को मिलेगी वित्तीय मदद
बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि कौशल विकास के अंतर्गत दिव्यांगों को वित्तीय मदद दी जानी चाहिए। प्रशिक्षण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए दिव्यांगों को अतिरिक्त यात्रा भत्ता, व्यक्तिगत सहयोगी उपकरण और वर्दी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त दिव्यांगों की प्रशिक्षण और रोजगार गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
अभियान की प्रबंधन लागत की व्यय सीमा समाप्त
राज्य स्तर पर अभियान की प्रबंधन लागत की व्यय सीमा हटाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि व्यय की निर्धारित सीमा की राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी की जाएगी। इससे राज्यों को अभियान के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आवश्यक श्रमशक्ति के प्रशिक्षण और स्थापन में सहायता मिलेगी। कौशल विकास का कार्यक्रम चलाने वाले व्यक्ति का वेतन 10 हजार रूपए से बढ़ाकर 15 हजार रुपए किया जाएगा और इसमें राज्य जरूरत के मुताबिक वृद्धि कर सकेंगे।
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