स्किल इंडिया मिशन के तहत पढ़ाई करते हुए आजीविका कमाने का मिलेगा मौका क्योंकि अब स्टूडेंट्स करेंगे सैम्पलिंग

जालंधर (पंजाब ) : डीएवी कॉलेज के फिजिक्स डिपार्टमेंट के एक प्रपोजल को हरी झंडी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने पंजाब के खेतीबाड़ी विभाग के पास कार्रवाई के लिए भेजा है। केंद्र सरकार की सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम (एसएचएमएस) के तहत यह प्रस्ताव तैयार किया गया था। केंद्र सरकार ने पंजाब के कृषि विभाग को इस प्रस्ताव को अपने एनुअल एक्शन प्लान में शामिल करते हुए अमल में लाने को कहा है। यह प्रस्ताव डीएवी कालेज के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर कम एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल भल्ला ने तैयार किया था।

दरअसल, जून महीने में सरकार के निर्देश पर जिला स्तरीय एग्जिक्यूटिव कमेटी गठित की गई थी, जिसने गांव स्तर पर सॉयल टेस्टिंग लैब गठित करने के लिए शिक्षण संस्थानों, को-आपरेटिव सोसाइटियों से प्रस्ताव मांगे थे। केंद्र सरकार की तरफ से मिंट्टी में मौजूद रासायनिक तत्वों की जांच में तेजी लाने के लिए यह कदम उठाया गया था। इस स्कीम के तहत लैब स्थापित करने के लिए सरकार से आर्थिक सहायता मिलेगी। वहीं, किसान 190 रुपए प्रति टेस्ट की फीस के हिसाब से जितने चाहे सॉयल टेस्ट करवा सकता है। डॉ. भल्ला ने इस प्रोजेक्ट का नाम फास्ट ट्रैक एनालिसस फैसिलिटी फॉर सॉयल एंड वाटर सैंपलिंग रखा है।

यह है डीएवी कॉलेज का प्रोजेक्ट

कॉलेज के फिजिक्स डिपार्टमेंट में पहले से ही कई उपकरण मौजूद हैं। बाकी के उपकरणों के लिए उन्होंने 10.53 लाख रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर भेजा था। डॉ. अतुल भल्ला ने बताया कि हमारे पास अलग-अलग गांव से पढ़ने के लिए स्टूडेंट्स आते हैं। वह अपने आसपास के इलाकों से सुबह आते समय सैंपल भरकर ला सकते हैं। इससे किसान को लैब तक आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लैब की पहुंच सीधे उनके खेत तक होगी। अगले दिन यही स्टूडेंट्स जांच रिपोर्ट वापस ले जाकर किसान को देंगे। उन्होंने कहा कि इससे केंद्र सरकार के स्किल इंडिया मिशन के तहत बच्चों को पढ़ाई करते हुए आजीविका कमाने का मौका भी मिलेगा।

ये है दूसरा प्रोजेक्ट

उन्होंने एक दूसरा प्रोजेक्ट भी भेजा था, जिसमें मिंट्टी समेत विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थो की माइक्रो लैवल पर जांच संभव है। इसके लिए एक्सरे फ्लोरासेंस तकनीक के तहत एक पोर्टेबल किट खरीदी जाएगी। इससे मिंट्टी, पान व अन्य खाद्य पदार्थो की बारीकी से जांच हो सकती है।

ये होंगे फायदे

सॉयल टेस्टिंग से किसान को पता होगा कि उनके खेत में कौन-कौन से तत्व अधिक मात्रा में हैं और किसकी कमी है। लगातार कीटनाशकों के प्रयोग से जमीन को क्या नुकसान हुआ है, इसकी जानकारी भी उन्हें मिलेगी। फसल लगाने से पहले जब वह मिंट्टी की जांच करवाएंगे तो उन्हें जमीनी हकीकत पता चलेगी।

कृषि विभाग से करूंगा बात : डीसी

सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट स्कीम के तहत गठित जिला स्तरीय कमेटी के चेयरमैन व डीसी कमल किशोर यादव ने कहा कि कालेज की तरफ से तैयार किया गया प्रपोजल अच्छा है। उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। वह सारी जानकारी प्राप्त कर खेतीबाड़ी विभाग से बातचीत करेंगे ताकि इस प्रपोजल पर अगली कार्रवाई की जा सके।

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