देश में खुल रहे विश्वविद्यालय की होड को बंद करके ग्रामीण स्तर पर खोले जाने चाहिए छोटे कौशल विकास केन्द्र : प्रो. प्रेमा झा – पूर्व कुलपति, भागलपुर विवि

उदयपुर : यूजीसी (UGC) सदस्य प्रो. आई.एम. कपाही ने कहा कि शिक्षा का उपयोग समाज, राष्ट्र एवं विश्व के हित में होना चाहिए। उच्च शिक्षा के लिए नवीन पॉलीसी लानी होगी उसके साथ कौशल विकास ( skill development )को बढावा देना होगा। हमें प्राथमिक स्तर से ही शिक्षा के साथ रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शामिल करने होगे। आज हम देखते है कि जापान, उत्तरी कोरिया, चाईना सहित विश्व के अन्य देश अपने बजट का 15 प्रतिशत शिक्षा एवं कौशल विकास को बढावा देने पर खर्च करते है हमें इसी परम्परा को आगे बढाना होगा। हमें कोई प्रोडेक्ट निर्माण से पहले सम्पूर्ण मनुष्य का निर्माण करना होगा।

उक्त विचार जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ वाइस चांसलर एवं एकेडमिशियन्स नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित कम्प्यूटर एण्ड आईटी सभागार में आयोजित ‘‘उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास’’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने उद्बोधन में कही।

संगोष्ठी की मुख्य वक्ता प्रो. प्रेमा झा – पूर्व कुलपति टीएम भागलपुर वि.वि. ने कहा कि देश में खुल रहे विश्वविद्यालय की होड को बंद करके ग्रामीण स्तर पर छोटे कौशल विकास केन्द्र (skill development centre) के व्यवसायिक सेंटर शुरू किये जाने चाहिए जिससे ग्रामीण एवं निचले स्तर का व्यक्ति अपने गांव में ही इस पाठ्यक्रम का चयन कर अपने रोजगार का साधन बना सकता है। जिला एवं तहसील स्तर पर आईटीआई (ITI), पोलोटेक्निक सेंटर, लेबोरेट्री ट्रेनिंग, घरेलु स्तर पर शोर्ट टर्म कोर्स जैसे बंधेज, सिलाई, वेल्डिंग, कारपेंटर, कठाई, बुनाई, समेकित कृषि, हार्डवेयर, पेरामेडिकल कॉलेज, केटरिंग कोर्सेस, बेसिक कम्प्यूटर, बागवानी, इंटीरियर डेकोरेशन आदि खोले जाने चाहिए।

अध्यक्षता करते हुए जयनारायण व्यास विवि के पूर्व कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि देश में बेरोजगारी को दूर करनी है तो शिक्षा के शुरूवाती दौर से ही शिक्षा को रोजगार के साथ जोड कर युवाओं को अध्ययन कराना होगा। प्राचीन समय में क्षेत्र् के आधार पर रोजगार को बढावा दिया जाता था जैसे पापड बनाना, रंगाई, छपाई, सिलाई आदि ऐसे कई स्थानीय रोजगार थे लेकिन आज के परिप्रेक्ष्य में देश एवं विश्व को ध्यान में रखते हुए युवाओं के व्यक्तित्व में निखार लाना होगा इसी परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने कौशल विकास नाम से नये मंत्रलय का गठन किया है जिसके द्वारा 600 से अधिक व्यवसाय होंगे जिससे छात्र अपनी रूचि के अनुसार चयन कर उस क्षेत्र् में आगे बढ सकता है जिससे वह देश की मुख्य धारा एवं विकास में अपना भी योगदान दे सकता है।

संगोष्ठी के प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने देश भर से आये कुलपतियों का स्वागत करते हुए कहा कि देश के 60 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्र् में कार्य करते है तथा भारत की 65 प्रतिशत आबादी युवा है, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बडा लोकतांत्र्कि देश है और यहां सिर्फ 03 प्रतिशत लोग ही स्कील है यह देश के लिए चिंताजनक है जबकि साउथ कोरिया में 97 प्रतिशत आबादी स्कील है। इसलिए भारत में कौशल विकास के पाठ्यक्रमों एवं इसके कि्रयान्वयन ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि हमारी पुरानी परम्पराओं को नवीन स्कील डपलपमेंट के साथ जोडे जाने की आवश्यकता है जिससे दुनिया साथ कंधे से कंधा मिला कर चल सके।

संगोष्ठी में बीकानेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर छीपा, प्रो. एस.पी. मिश्र – कुलपति उत्तराखंड विवि, प्रो. एस. लोढा – यूएसए, प्रो. बी.एम. बुजर बरूआ – कुलपति असम विवि जोरहाट, डॉ. राम अवतार शर्मा – शिक्षाविद् आगरा, प्रो. वीरेन्द्र नाथ पांडेय – सेके्रटरी जनरल एआईएवीसीए, एमअरआई विवि फरीदाबाद के कुलपति डॉ. एन.सी. बधवा, ने अपने विचार व्यक्त किए। सगोष्ठी का संचालन डॉ. अमी राठौड एवं डॉ. देवेन्द्रा आमेटा ने किया जबकि धन्यवाद ऑल इंडिया वाइस चांसलर एंड एकेडिमिशन के सेके्रटरी जनरल प्रो. बी.एन. पाण्डे्य ने दिया। सेमीनार में एसोसिएशन के समस्त सदस्य एवं विद्यापीठ के समस्त विभागों के डीन, डायरेक्टर भी मौजुद थे।

पुस्तक एवं एसोसिएशन की वेब साईट का लोकार्पण किया गया | सेमीनार में ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ वाइस चांसलर एकेडिमिशियन की वेब साईड एवं मेग्जीन का अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया ।

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