हौसलों की उड़ान : थर्डजेंडर को नर्सिंग कोर्स के बाद मिला प्लेसमेंट

भिलाई : चेहरे से भले ही हम थर्ड जेंडर की तरह नजर न आए पर हमारे घर-परिवार वालों को यह बात मालूम है कि हम सामान्य युवाओं की तरह नहीं है। कभी हमारी वजह से पैरेंट्स को झिल्लत उठानी पड़ती है तो कभी समाज हमें आगे बढऩे का मौका नहीं देता। छींटाकशी के बीच हम खुद को असहज महसूस करते हैं,लेकिन फिर भी हमने इस ट्रेनिंग को पूरा किया।

सभी के लिए रोल मॉडल : थर्ड जेंडर पंकज और रिम्मी(बदला हुआ नाम) के यह अल्फाज उनके हौसलों को बयां कर रहे थे। कौशल विकास प्राधिकरण के मंच पर यह दोनों उन सभी के लिए रोल मॉडल बन गए हैं जो समाज की अवहेलना के बाद भी कुछ कर दिखाना चाहते हैं। इन दोनों ने अपने ट्रेनिंग से प्लेसमेंट तक के सफर को बयां किया तो उनके चेहरे का आत्मविश्वास ही उनकी सफलता की कहानी बयां कर रहा था।

सुपेला स्थित एपी सर्जिकल में जॉब : पंकज और रिम्मी ने कुछ महीने पहले एक मेले में कौशल विकास प्रशिक्षण के बारे में सुना। वहां उन्होंने नर्सिग के कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया और कुछ ही दिनों में उन्हें पता चला कि श्रेयांश नर्सिग कॉलेज में उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। साढ़े चार महीने के कोर्स में उन्होंने बेड मेकिंग, डिलवरी के दौरान डॉक्टर को असिस्ट करने सहित मरीजों की देखभाल करने के बारे में सीखा। हाल ही में उन्हें सुपेला स्थित एपी सर्जिकल में जॉब मिली है।

जीने के लिए एक वजह मिल गई : वे बताते हैं कि उन्हें देखकर कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता कि वे थर्ड जेंडर है, लेकिन अपनी हकीकत को वे ज्यादा दिनों तक नहीं छुपा पाते, क्योंकि उनके नेचर में फिमेल टच नजर आ ही जाता है। चूंकि बैच में ज्यादातर लड़कियां होने की वजह से उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई पर आज भी जब भी वे बाहर जाते हैं उन्हें लोग परेशान करते हैं। इसलिए वे अपने जैसे लोग के बीच खुद को सहज पाते हैं। इनका कहना है कि इस ट्रेनिंग के बाद उन्हें जीने के लिए एक वजह मिल गई है, क्योंकि वे अपना खर्च खुद उठा पाएंगे और अब पैरेंट्स पर वे बोझ नहीं होंगे।

पूरी पहचान : इन युवाओं ने कहा कि आज तक उनका थर्ड जेंडर का प्रमाणपत्र नहीं बन पाया है, क्योंकि स्कूल के सर्टिफिकेट में आज भी उनका जेंडर मेल है और उसके आधार पर उन्हें शासन की कई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि शासन को कम से कम हमारे जैसे लोगों को आगे आने का मौका देना चाहिए।

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