संसद की एक समिति ने इस बात पर चिंता जताई है कि प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों के तहत लक्ष्य का मात्र 8.5 प्रतिशत अभ्यर्थियों का ही नामांकन किया जा सका है, साथ ही यह सिफारिश की है कि इन कौशल केंद्रों के कामकाज की जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र को मजूबत बनाया जाए।
कौशल विकास एवं उद्यमशिलता मंत्रालय से संबंधित 2017-18 की अनुदानों की मांग पर स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 के अंत तक राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के माध्यम से 600 प्रधानमंत्री कौशल के पीएमकेके स्थापित करने की योजना है।
आंकड़ों से पता चलता है कि 220 पीएमकेके अभी भी निर्माणाधीन है तथा 139 के लिए स्थान को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सबको मिलाकर पीएमकेके की संख्या 444 हो जाती है। समिति इस बात को नोट करती है कि तीसरे चरण के लिए अभी शेष 195 जिलों को कवर करने का लक्ष्य है लेकिन कोई कार्य योजना नहीं बना पाए हैं। योजना के आरंभ से वे मात्र 85 पीएमकेके स्थापित कर पाएं हैं।
इसमें कहा गया है कि समिति को आशा है कि मंत्रालय वास्तविक तथा प्राप्त करने योग्य लक्ष्य रखेगा ताकि वे अपने लक्ष्य को तय मानक से कम करने अथवा वित्तीय वर्ष के अंत तक आवंटन को वापस करने से बच सके।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति इस बात को जानकर चिंतित है कि पीएमकेके के तहत सभी 568 बैच में 1,92,960 के तय लक्ष्य की तुलना में अब तक मात्र 16,444 अभ्यर्थियों का ही नामांकन किया जा सका है जो लक्ष्य का मात्र 8.5 प्रतिशत हैै। समिति अद्यतन स्थिति से अवगत होना चाहती है।
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