ग्वालियर : मेक इन इंडिया के अंतर्गत युवा वर्ग को उन कौशलों में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिसकी डिमांड विदेशों में है। कौशल विकास के जरिए हम रोजगार के दरवाजे खोल सकते हैं। आज हर क्षेत्र में स्किल वर्कर की जरूरत है। मेक इन इंडिया के जरिए निश्चय ही गांवों से रोजगार की तलाश में शहरों की ओर पलायन रुकेगा और शहरी गरीबों का अधिक समावेशी विकास हो सकेगा।
यह बात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से आए अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अशोक मित्तल ने कही। मौका था बुधवार को जीवाजी यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र अध्ययनशाला में डॉ.कलाम व्याख्यानमाला के अंतर्गत मेक इन इंडिया-टास्क अहेड पर सेमिनार का।
सरकारी तंत्र हो पारदर्शी
कार्यक्रम में प्रो.मित्तल ने कहा कि मेक इन इंडिया की सफलता के लिए अधोसंरचना का विकास एवं सरकारी तंत्र में पारदर्शिता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया अच्छी अवधारणा है परंतु उसके सफल होने के लिए सबसे पहले भारत में शिक्षित युवाओं को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। युवाओं का देश कहलाने वाले भारत में युवाओं में कौशल क्षमता स्कूली शिक्षा के साथ साथ ही विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए शिक्षा पद्धति में बदलाव की आवश्यकता है।
नए तकनीक को विकसित करना होगा
कार्यक्रम में आगे उन्होने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसके लिए हमें कृषि उत्पादन की बहुलता होने के बाबजूद खाद्य सामग्री बनाने की तकनीकी विकसित करने की आवश्यकता है। जिससे कि फसल उत्पादन कर हम निर्यात कर सकें। सरकार की कोशिश है कि सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्रक की हिस्सेदारी बढ़े। परंतु मेक इन इंडिया की संकल्पना को मूर्तिरुप प्रदान करने के लिए जरूरी है कि देश में कानून व्यवस्था बेहतर हो जिससे कि विदेशी निवेशको को भारत में निवेश के प्रति सकारात्मक सोच का विकास हो। इस दौरान प्रो.एसके शुक्ला, जॉ.शान्तिदेव सिसौदिया, डॉ.एके सिंह, प्रो. एपीएस चौहान, प्रो,आरए शर्मा, प्रो. एसके सिंह, प्रो.योगेश उपाध्याय आदि उपस्थित रहे।
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