छत्तीसगढ़ : प्रशिक्षण के नाम पर 5 लाख 75 हजार रुपए गड़बड़ी के मामले में संचालनालय (रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग) रायपुर ने आईटीआई (ITI) बालोद के प्राचार्य डीएस रात्रे व लिपिक एसएल पांडेय को निलंबित कर दिया है। प्राचार्य को रायपुर व लिपिक को महासमुंद अटैच कर दिया गया है।
जानकारी अनुसार आदिम जाति कल्याण विभाग परियोजना प्रशासनिक विभाग के माध्यम से कौशल विकास योजना (skill development scheme) के तहत कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया जा रहा था। प्रशिक्षण के नाम पर 5 लाख 75 हजार रुपए निकाले गए। शिकायत पर जांच के बाद शासन ने ये पाया कि प्राचार्य व लिपिक ने मिलीभगत कर शासकीय पैसा निकाला और योजना का क्रियान्वयन नहीं किया। तीन सदस्यीय जांच टीम की रिपोर्ट पर संचालनालय ने आदेश जारी कर दोनों को निलंबित कर दिया।
मामले में यह भी कहा जा रहा है कि इसके पहले भी कई शिकायतें उच्च अधिकारियों को मिली थी। जिसमें बताया गया था कि सितंबर में प्रशिक्षण के माध्यम से 60 प्रशिक्षणार्थी को लाभ पहुंचाया गया। मामले में विभिन्न बिंदुओं पर जांच हुई। शासन स्तर पर नए प्राचार्य की नियुक्ति जल्द करने की चर्चा चल रही है। बताया गया कि फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जिले के किसी संस्थान के प्राचार्य को जिम्मेदारी दी जाएगी।
इसके पहले भी फर्जीवाड़े में अफसर हो चुके हैं निलंबित : मामले में खुलासा हुआ कि बैंक बिल व अन्य दस्तावेजों में प्राचार्य के प्रत्येक जगह हस्ताक्षर हुए हैं। तीन सदस्यीय टीम में शामिल दुर्ग के श्री तंवर, गुंडरदेही प्राचार्य बीके साहू व एक अधिकारी ने जनवरी में मामले की जांच की और अपनी रिपोर्ट शासन को दी। जांच कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर संचालनालय ने आदेश जारी किया। इसके पूर्व दोनों को अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया गया। लेकिन इनके पक्ष से संचालक संतुष्ट नहीं हुए और यह आदेश जारी किया।
आॅडिट के दौरान हुआ था मामले का खुलासा : कौशल उन्नयन के तहत वर्ष 2015 में सितंबर में कम्प्यूटर प्रशिक्षण हुआ था। 5 लाख 75 हजार रुपए 13 अक्टूबर को निकाला गया। आॅडिट में मामले का खुलासा हुआ। आॅडिट करने वालों का कहना था कि एक साथ इतना पैसा क्यों निकाला गया। पैसे की गड़बड़ी के मामले में शासन ने संबंधित प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया। प्राचार्य ने जवाब में कहा कि इस मामले की जानकारी मुझे नहीं है, यह सभी काम लिपिक कर रहा है। उसने मेरी बिना जानकारी के पैसा निकाल लिया।
इन बिंदुओं पर हुई मामले की जांच: बिना प्रशिक्षण के अधिकारी ने कैसे निकाला पैसा, एनजीओ की भूमिका भी संदिग्ध रही। तत्कालीन कलेक्टर अमृत खलखो ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर मामले की जांच करवाई। जांच में संबंधित अधिकारी पर लगे आरोप सही पाए गए। जिसके बाद कार्रवाई की गई।
मार्च 2012 में महिला बाल विकास के जिला अधिकारी हेमंत साहू ने प्रशिक्षण दिलाने के नाम पर 18 लाख रुपए का गबन किया था। महिलाओं को स्वरोजगार शुरू करने के लिए मिली रकम फर्जी सूची प्रस्तुत कर राशि दिव्या करण डेवलमेंट नामक एनजीओ के साथ मिल कर निकाला। अधिकारी ने पैसे को हड़प लिया था।
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