जांजगीर-चाम्पा (छ०गढ ) : जिले में संचालित अधिकांश कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों में शासन के निर्देश के बाद बायोमैट्रिक मशीन नहीं लगाई गई है। ऐसे में केन्द्रों में उन्हें सही प्रशिक्षण मिल रहा है या नहीं इसकी कोई गांरटी नहीं है। कई केन्द्रों में नियमों का पालन नहीं हो रहा था। जिले में संचालित 104 प्रशिक्षण केन्द्रों में से 52 केन्द्रों में बायोमैट्रिक मशीन लगाई गई है, जबकि इनमें से अधिकांश केन्द्रों में ये मशीन चालू नहीं हो सकी। वहीं 52 केन्द्रों में अब तक बायोमैट्रिक मशीन नहीं लगाई गई है। ऐसे में प्रशिक्षुओं की उपस्थिति की खानापूर्ति भी कई केन्द्रों में कर दी जाती है और इन्हें प्रशिक्षण का भुगतान भी हो जाता है।
युवाओं को तकनीकी ज्ञान देकर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का शुभांरभ किया गया। योजना के तहत प्रशिक्षण के बाद युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने या स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाना है। जिले में बेरोजगारों को विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण के लिए 166 शासकीय व निजी संगठनों को कौशल विकास के लिए अधिकृत किया गया था। लेकिन कई केन्द्रों का संचालन सही ढंग से नहीं होने पर 66 केन्द्रों को बंद कर दिया गया। राज्य शासन द्वारा वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत हो रहे फ़र्ज़ीवाड़े की रोकथाम के लिए सभी प्रशिक्षण केन्द्रों में बायोमैट्रिक मशीन लगाए जाने का निर्देश किया गया है। लेकिन जिले में संचालित 38 शासकीय व 66 निजी प्रशिक्षण में से अब तक मात्र 52 केन्द्रों में ही बायोमैट्रिक मशीन लग सकी है, लेकिन वह भी अब तक कई शुरू हुई है। ऐसे में जिले के अधिकांश प्रशिक्षण सेंटरों में पᆬर्जीवाड़ा होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
बायो मैट्रिक मशीन से फ़र्ज़ीवाड़े पर लगेगी रोक : जिले के अधिकांश वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर संचालकों द्वारा ज्यादा लाभ कमाने के लिए फ़र्ज़ी तरीके से लोगों का नामांकन दर्ज किया जाता है और विभागीय आंकड़ों में फ़र्ज़ी तरीके से आंकड़े दिखाकर रूपयों की वसूली की जाती है। ऐसे में बायोमैट्रिक मशीन लगने से प्रशिक्षण के लिए आए प्रशिक्षणार्थियों के आने व जाने के समय अंगूठे का निशान मशीन के माध्यम से लिया जाएगा। इससे सेंटरों में हो रहे पᆬर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा।
अधिकांश शासकीय कार्यालयों में नहीं लग सकी मशीन : जिले के कई विभाग के कर्मचारी अधिकारियों के बाहर से अप-डाउन पर प्रतिबंध नहीं लग सका है। अधिकारियों-कर्मचारियों के बाहर से आने-जाने का कामकाज पर असर पड़ता है। कलेक्टर के आदेश के बाद भी अधिकांश शासकीय कर्मी बाहर से आना-जाना करते हैं।
बार-बार के फरमान के बाद भी जिले के कई अधिकारी एवं कर्मचारियों ने अपने मुख्यालय में रहना शुरु नहीं किया है और बिलासपुर, अकलतरा, सक्ती तथा अन्य शहरों से रोज अप-डाउन करने का सिलसिला जारी है। स्वास्थ्य, शिक्षा, राजस्व, आरईएस, पीडब्लूडी, महिला एवं बाल विकास विभाग तथा कई जनपद पंचायतों के सीईओ और अन्य कर्मचारी अपने मुख्यालय में नहीं रहते और ज्यादातर लोग ट्रेन से रोज आना-जाना करते हैं। जिसके कारण विभाग के कार्यालय भी रेलवे टाइम टेबल पर आश्रित है। गाड़ी अगर सही समय पर आ गई तब तो ये अधिकारी-कर्मचारी कार्यालय में समय पर पहुंच जाते हैं और यदि गाड़ी लेट हुई तो ये भी विलंब से कार्यालय पहुंचते हैं। ऐसे में बायोमैट्रिक मशीन लग जाने से अप डाउन करने वाले अधिकरी कर्मचारियों पर अंकुश लगेगा, बावजूद इसके जिले के अधिकांश शासकीय कार्यालय बायोमैट्रिक मशीन लगाने के मामले में गंभीर नहीं है।
”जिले में संचालित सभी पंजीकृत वीटीपी केन्द्रों को बायोमैट्रिक मशीन लगाए जाने का निर्देश दिया गया है। केन्द्रों में मशीन नहीं लगाए जाने पर उन्हें प्रशिक्षण कराने का काम नहीं दिया जा रहा है।”
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