पटना : राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमियों को पाटने के लिए चार लाख बहुउद्देशीय सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (ग्रामीण डॉक्टर) को प्रशिक्षण दिलाने की तैयारी हो चुकी है। दीपावली के बाद इन सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का कार्य प्रारंभ होगा।
राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) ने इनके लिए एक साल का पाठ्यक्रम तैयार किया है। सभी सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को राज्य के 38 जिलों के 149 प्रथम रेफरल यूनिट और 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अध्ययन कराया जायेगा।
ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों में चिकित्सकों एवं प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा देनेवाले कर्मियों की कमी को देखते हुए सरकार ने व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया है। प्रचलित स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे कार्यबल के कौशल विकास के उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जन समुदाय के बीच से वैसे ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्र के कार्यकर्ता (वॉलेंटियर,) जो कई वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, को प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की गयी है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के राज्य परामर्शदातृ समिति के अध्यक्ष डाॅ एलबी सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करनेवालों को स्वास्थ्य, स्वस्थ पर्यावरण, संतुलित आहार, मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य की देखरेख सहित परिवार कल्याण कार्यक्रम में परामर्श दे सकते हैं। इनको प्राथमिक उपचार करने में समर्थ बनाया जायेगा, जिससे कि राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभा सकें।
डाॅ सिंह ने बताया कि एनआइओएस द्वारा इसके लिए पूर्व में ही आवेदन पत्र आमंत्रित किया जा चुका है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए करीब चार लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं. उन्होंने बताया कि जितने लोगों के आवेदन एनआइओएस को प्राप्त हुए हैं, उन सभी को प्रशिक्षण दिलाया जायेगा।
किसी भी आवेदक को प्रशिक्षण दिलाने से वंचित नहीं रखा जायेगा। उन्होंने बताया कि एनआइओएस द्वारा सभी 149 प्रथम रेफरल यूनिट और 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को एक्रिडेशन दिया जायेगा। हालांकि, इस तरह का प्रयोग राज्य में पहली बार किया जा रहा है, जिसके चलते प्रशिक्षण आरंभ करने में एक साल का विलंब हुआ है. उन्होंने बताया कि एनआइओएस द्वारा निर्धारित प्रति केंद्र पर 50 शिक्षणार्थियों का नामांकन किया जायेगा।
पांच वर्षों से अधिक अनुभववालों को प्राथमिकता
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मान्यताप्राप्त बोर्ड से 10वीं पास एवं तीन से पांच वर्षों का अनुभव होना आवश्यक है। पांच वर्षों से अधिक अनुभववाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जायेगी। प्रशिक्षण के लिए पांच हजार रुपये नामांकन शुल्क लिया जायेगा। एनओआइएस नामांकित विद्यार्थियों का पाठ्य सामग्री, आडियो-वीडियो कार्यक्रम, परिचय पत्र, परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र, परीक्षा का समय सारणी और परीक्षा केद्र का विवरण उपलब्ध करायेगा। इस कार्यक्रम में प्रायोगिक और सैद्धांतिक परीक्षाएं साल में दो बार ली जायेंगी। प्रत्येक अध्ययन केंद्र का अपना एक समन्वयक होगा, जिसको राज्य परामर्शदातृ समिति द्वारा चयन या अनुशंसा की जायेगी।
इनकी मिलेगी ट्रेनिंग
– स्वास्थ्य परीक्षण
– स्वस्थ पर्यावरण
– संतुलित आहार
– मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य की देखरेख
– परिवार कल्याण कार्यक्रम में परामर्श
– प्राथमिक उपचार के तरीके
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