नक्सलियों के गढ़ में पुलिस का स्किल डिवेलपमेंट

वाराणसी : खाकी वर्दी व महकमे के खिलाफ बनी गलत धारणा को चंदौली जिले की नौगढ़ पुलिस तोड़ रही है। नक्सलियों के गढ़ में जीने की नई रोशनी और हुनर थाने की चहारदीवारी में सिखाया जा रहा है। नाई-बढ़ई से लेकर टेलर, प्लम्बर और इलेक्ट्रीशियन की फौज तैयारी की जा रही। मकसद यह कि आतंक के साए में जिंदगी गुजारने वाले परिवार को आत्मनिर्भर बनाया जा सके। जिससे उनको बंदूक उठाने की जरूरत ही न पड़े। सीओ नक्सल प्रदीप सिंह चंदेल बताते हैं कि ट्रेनिंग के बाद सभी को औजार किट उपलब्ध कराकर रोजगार से जोड़ने के प्लान पर काम चल रहा है। यहां वर्दीधारी ड्राइविंग सिखा रहे हैं और फ्री में लाइसेंस मिलेगा। पहाड़  व जंगलों से घिरा सुदूर नौगढ़ इलाका लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिस्ट (एलडब्ल्यूई) का गढ़ रहा है। यहां नक्सली बारूदी सुरंग बिछा पीएसी की ट्रक उड़ाने संग कई बड़ी वारदात अंजाम दे चुके हैं। हालांकि हाल के कुछ सालों में  नक्सलियों की सक्रियता में कमी आने से कोई बड़ी वारदात सामने नहीं आई है।

बैरक बनी ट्रेनिंग सेंटर

करीब  दो करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए नौगढ़ के अष्टकोणीय थाना भवन की तीन बैरकों में सिपाही नहीं रहते। इन बैरकों में इलाके के नौजवानों के स्किल
डिवेलपमेंट सेंटर खोला गया है। सुबह होते ही बाल काटने और दाढ़ी बनाने से लेकर बढ़ईगिरी, सिलाई, बिजली मरम्मत, घरों में पानी की पाइप लगाने काम सीखाने का दौर शुरु होकर दोपहर तक चलता है। थाना प्रभारी गंगा प्रसाद के मुताबिक ट्रेनिंग लेने वाले नौजवानों के लिए ड्रेस के अलावा नाश्ते और लंच का भी इंतजाम किया गया है। कुल 88 के बैच में नाई की 12 को, बढ़ई 13, प्लम्बर 12, इलेट्रिशियन 16, सिलाई 15 व 20 को ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जा रही है।

ट्रेनर बने एसपीओ

नक्सल प्रभावित इलाके के नौजवानों को ट्रेनिंग देने वाले बाहर से नहीं बल्कि इसी इलाके के हुनरमंद है। चयन के बाद इन्हें स्पेशल पुलिस अफसर( एसपीओ) का दर्जा दिया गया है। ट्रेनिंग देने के बदले इन्हें तीन हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाने की व्यवस्था है। ड्राइविंग के प्रशिक्षण में पुलिस की जिप्सी, बुलेट प्रूफ वाहन, व्रज, जीप और पीएसी की बस प्रयोग में लाई जाती है। सारा खर्च सरकार वहन कर रही है।

रोडवेज में नौकरी

रोडवेज ने नक्सल प्रभावित इलाकों के युवकों को संविदा पर चालक की नौकरी देने की तैयारी की है। रोडवेज के एआरएम राजकुमार सिंह ने बताया कि फिलहाल 100 युवकों को मौका दिया जायेगा। संविदा बस चालक होने के लिए तीन साल पुराना भारी वाहन चलाने का लाइसेंस और कम से कम आठ पास का प्रमाण पत्र होना जरूरी है। युवकों की लंबाई 5 फुट 3 इंच के कम नहीं होनी चाहिए। ऐसे युवक हर गुरुवार को रोडवेज क्षेत्रीय कार्यालय पर होने वाले भर्ती परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। परीक्षा में सफल होने के बाद उनको कानपुर में एक और परीक्षा में शामिल होना होगा। इसके बाद उनको नियुक्ति पत्र दिया जायेगा।

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