हल्द्वानी : नैनीताल जिले में 632 बाल एवं किशोर श्रमिक शिक्षा से महरूम होकर काम करने को मजबूर हैं। परिवार की रोजीरोटी की खातिर श्रम करने को मजबूर बच्चों और किशोरों को कौशल विकास से जोड़ा जाएगा। श्रम विभाग के साथ मिलकर जिला प्रशासन इसकी योजना बना रहा है।
जिला प्रशासन ने इस संबंध में श्रम एवं सेवायोजन मंत्रालय के संयुक्त सचिव को प्रस्ताव भेजा है। भारत सरकार की अनुमति के बाद इस दिशा में काम होने की उम्मीद है। सरकार प्रस्ताव पर मुहर लगाती है तो नैनीताल जिले के छह सौ से अधिक बाल व किशोर श्रमिकों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसके बल पर बच्चे अपना हुनर तराशकर अपनी रुचि का स्वरोजगार कर सकेंगे। सूत्रों की मानें तो ऐसे बच्चों को छोटे-छोटे विषयों में ब्रिज कोर्स कराए जाएंगे। इसमें सिलाई, कताई-बुनाई, आर्ट एंड क्राफ्ट जैसे विषयों को शामिल किया जाएगा।
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पांच से आठ साल के 52 बच्चे मिले
राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत डीएम की अध्यक्षता वाली जिला परियोजना समिति ने सार्थक सेवा एवं सांस्कृतिक समिति ने पिछले दिनों सर्वे कराया था। समिति के सर्वे के मुताबिक नैनीताल जिले में 632 बाल व किशोर श्रमिक चिह्नित हुए हैं। इसमें 386 बाल श्रमिक (14 वर्ष से कम आयु के बच्चे) व 246 किशोर (14 से 18 वर्ष के बच्चे) श्रमिक शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि 52 बच्चे पांच से आठ साल की बीच के हैं। दस किशोर खतरनाक उद्योगों में काम करते मिले। 236 किशोर ढाबे, रेस्टोरेंट व दूसरे गैर खतरनाक कार्य करने को मजबूर हैं। अधिकांश बच्चे हल्द्वानी में मिले जो कूड़ा बीनने के काम में लगे हैं।
एनआरएसटी के माध्यम से होंगे हुनरमंद
सर्वे में काम करते मिले बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित गैर आवासीय विशेष प्रशिक्षण (एनआरएसटी) के माध्यम से हुनरमंद बनाने की योजना है। जिला प्रशासन की ओर से श्रम मंत्रालय को गए प्रस्ताव में इसका जिक्र किया गया है।
बच्चों व किशोरों के कौशल विकास पर होगा काम
सविन बंसल, जिलाधिकारी नैनीताल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत कराए सर्वे में नैनीताल जिले में 632 बाल व किशोर श्रमिक मिले हैं। ऐसे बच्चों व किशोरों के कौशल विकास पर काम होना है। श्रम मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है। सरकार से जवाब आते ही इस दिशा में काम किया जाएगा।
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