कौशल विकास प्राधिकरण के जरिए बीपीएल व नक्सली पीडि़त युवक-युवितियों को प्लास्टिक इंजीनियरिंग मे अपना जीवन सवांरने का सुनहरा अवसर

बीजापुर :  प्लास्टिक इंजीनियरिंग के जरिए जिले के बेरोजगार युवक-युवतियों की जिंदगी की दिशा बदलने लगी है। कौशल विकास प्राधिकरण के जरिए बीपीएल व नक्सली पीडि़त युवक-युवितियों को प्लास्टिक इंजीनियरिंग मे अपना जीवन सवांरने का सुनहरा अवसर मिला है। इस योजना से प्रभावित होकर काफी तादाद में प्लास्टिक इंजीनियरिंग के प्रति लोगों में रुचि बढ़ी है।

कौशल विकास प्राधिकरण से बेरोजगारों के रोजगार के लिए प्लास्टिक इंजीनियरिंग मे रोजगार के अवसर के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजिनियरिंग, भिलाई मे यहां के निवासियों को काउंसलिंग कर प्रशिक्षण के लिए भेजा है। पहले बैच में 30 युवक-युवतियों को प्रशिक्षण दिया गया तथा दूसरे बैच में 48 युवक-युवतियों को प्रशिक्षण के लिए भेजा है।

ये प्रशिक्षणार्थी सेंड्रा, संड्रापल्ली, सागमेटा, पालनार, रेड्डी, चिन्नाकवाली जैसे जगहों से आए हैं। इनमें से 11 से 12 प्रशिक्षणार्थी माओवादी पीडि़त परिवारों से है जिनके पास रोजगार का कोई साधन नहीं है। प्रशिक्षण के लिए गए युवक-युवतियां को स्किल डेवलपमेंट के तहत रोजगार दिलाने के दृष्टिकोण से कलक्टर व सीईओ जिला पंचायत की पहल पर भेजा है।

एक साल के बेटे को छोड़कर प्रशिक्षण में गई

प्लास्टिक इंजीनियरिंग के प्रति रुचि और रोजगार की प्राप्ति के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रही रीना भास्कर अपने परिवार का जीवन संवारने ममता का त्याग कर एक साल के बच्चे को छोड़कर गई है। रीना के बच्चे की देखभाल उसकी दादी कर रही है। रीना का पति कौशल विकास से प्रशिक्षण प्राप्त कर बढ़ाई के व्यवसाय शुरू किया है। परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब होने के कारण रीना भास्कर ने प्लास्टिक इंजिनियरिंग में आमदनी बढऩे की उम्मीद के चलते यह राह चुना है।

न्यूनतम 8500 के साथ देश में कहीं भी नौकरी

सीपेट में प्लास्टिक इंजीनियरिंग का छह माह का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद यहां के बेरोजगारों को प्रमाण पत्र मिलेगा। प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षण स्थल में कंपनी इन्हें रोजगार के लिए नियुक्त करेगी। इन्हें न्यूनतम 8500 रुपए की तनख्वाह मिलेगी तथा ये देश भर में कहीं भी नौकरी करने के लिए पात्र होंगे।

स्थानीय बेरोजगारों के लिए प्लास्टिक इंजिनियरिंग बेहतर

कौशल विकास प्राधिकरण के अधिकारी गौरव पांडे ने बताया कि प्लास्टिक इंजीनियरिंग का प्रचार-प्रसार के बाद स्थानीय लोगों में इस काम के प्रति रुचि बढ़ी है। इस प्रशिक्षण की खासियत यह है कि अच्छा वेतन के साथ सौ प्रतिशत प्लेसमेंट है। जिले से सभी प्रशिणार्थियों को प्रशिक्षण के बाद नौकरी मिली है। इस प्रशिक्षण से प्लास्टिक निर्मित बाल्टी, मग, ड्रम, पेन, ट्रे, कुर्सी, टेबल आदि कई सामग्री बनाने में स्थानीय लोग सफल हुए हैं।

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