‘कमजोर संस्थानों का मार्गदर्शन करें बेहतर संस्थान’ : एआईसीटीई चेयरमैन

गोरखपुर : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रो. अनिल डी. सहस्त्रबुद्धे ने मजबूत तकनीकी संस्थानों से अपील की है कि वे कमजोर संस्थानों के मार्गदर्शन के लिए आगे आएं, जिससे उन्हें भी मजबूती मिल सके। एमएमयूटी के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने गोरखपुर पहुंचे प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने विशेष बातचीत में एआईसीटीई की ‘मार्गदर्शन’ योजना की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें मजबूत संस्थानों से यह उम्मीद की गई है कि वे कमजोर संस्थानों के लिए आगे आएं और अपने अनुभव से उनका मार्गदर्शन करें।

उन्होंने बताया कि इस योजना में अभी तक देश से केवल पुणे का कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ही सामने आया है। तीन साल की इस योजना में आगे आने वाले संस्थान को 50 लाख से ज्यादा धनराशि उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है। बातचीत के दौरान उन्होंने एमएमयूटी से भी इसके लिए आगे आने की अपील की। उन्होंने बताया कि स्टार्ट अप इंडिया के तहत कौशल विकास के लिए एआईसीटीई की ओर से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है, जो तकनीकी संस्थानों में इंटर प्रेन्योरशिप कोर्स चलाने के विषय पर कार्य कर रही है। इसमें पढ़ाई के दौरान ही विद्यार्थियों के कौशल विकास के लिए कोर्स चलाया जाएगा, जिससे उन्हें पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार के दौरान किसी तरह की दिक्कत की सामना न करना पड़े। उन्होंने बताया कि इस योजना से उद्योगपतियों और पुराने इंजीनियर्स को जोड़ा जाएगा, जो अपने अनुभव से विद्यार्थियों को समृद्ध करेंगे।

प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चलाए जा रहे उस कार्यक्रम की भी चर्चा की, जिसमें इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक संस्थानों में इवनिंग स्किल कोर्स चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके तहत तीन साल में 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले साल में 80 हजार लोगों का चयन किया जा चुका है। इसमें एक संस्थान अधिकतम 100 छात्रों को प्रशिक्षित कर सकता है। एआईसीटीई की ओर से हर छात्र के लिए आठ हजार रुपये सालाना की फंडिंग की जा रही है। प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने इंजीनियर कॉलेज की सीटों और उनमें प्रवेश के अंतर पर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि देश में इंजीनियरिंग की 16 लाख सीटें हैं जबकि महज 10 लाख प्रवेश ही हो पा रहे हैं। हालांकि उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि हर साल कुछ कॉलेज अपनी सीटों और विभागों को कम कर रहे हैं, जिससे यह अंतर कम हो रहा है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि अब कॉलेजों को सीट और विभाग बढ़ाने के लिए एक्रेडेशन के मानक पर खरा उतरना होगा।

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