नई दिल्ली : तकनीकि संस्थानों में सिर्फ इंजीनियर ही नहीं बल्कि बेहतरीन खिलाड़ी भी तैयार किए जाएंगे। खेलों को बढ़ावा मिले इस मकसद से ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने संस्थानों को स्टूडेंट्स के बीच खेल भावना जगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
स्कूल लेवल पर खेलों के प्रति जागरूकता तो है, लेकिन बजट का भारी टोटा रहता है। यही कारण है कि स्कूलों में बच्चों की खेल प्रतिभा कुछ खास निखरकर नहीं आती है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां के सरकारी स्कूलों में तो खेल के लिए बजट न के बराबर है। लेकिन अब स्कूल भले ही स्टूडेंट्स के स्पोर्ट्स स्किल्स न निखार पाएं। लेकिन हायर एजुकेशन में उनकी प्रतिभा को तराशने का काम किया जाएगा।
इसी इरादे से एआईसीटीई ने देशभर के संस्थानों को खेल के प्रति सकारात्मक रुख रखने को कहा है। काउंसिल ने सभी तकनीकि संस्थानों को इसके लिए ज्यादा से ज्यादा खेल प्रतियोगिताएं और गतिविधियां आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। ताकि स्टूडेंट्स के खेलों के हुनर को भी निखारा जा सके। काउंसिल का मानना है कि स्टूडेंट्स को पढ़ाई के साथ ही खेल को लेकर भी जागरूक करने की जरूरत है ताकि उनके भीतर छिपी प्रतिभाओं को बाहर लाया सके। तकनीकि संस्थान सुविधाओं और संसाधनों के मामले में पहले से ही संपन्न होते हैं। ऐसे में तकनीकि संस्थानों में खेल के प्रति जागरूकता खिलाड़ी स्टूडेंट्स के लिए काफी मददगार साबित होगी।
काउंसिल ने संस्थानों को खेल गतिविधियों के लिए अलग से समय निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा संस्थानों को खेल को लेकर तमाम संसाधन और सुविधाएं भी जुटानी होंगी, ताकि स्टूडेंट्स को उसकी रुचि से जुड़े खेल के लिए पर्याप्त साधन मुहैया कराए जा सकें।
प्रो पीके गर्ग, वाइस चांसलर, उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के अनुसार काउंसिल के खेलों को बढ़ावा देने से एमएचआरडी के उन्नत भारत अभियान को भी बढ़ावा मिलेगा। स्टूडेंट्स को खेलों के प्रति जागरूक करने से उनका शारीरिक और मनसिक विकास भी होगा। यह एक अच्छी पहल है।
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