नमामि गंगे कार्ययोजना के तहत जैविक खेती और गोपालन के लिए युवाओं को दिया जाएगा कौशल विकास का प्रशिक्षण

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने नमामि गंगे के तहत शनिवार को वाराणसी में विभिन्न परियोजनाओं के शुभारंभ की घोषणा के साथ ही कहा कि नमामि गंगे की कार्ययोजना के मूर्त रूप लेने के बाद गंगा किनारे के शहरों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कहा कि गंगा किनारे रासायनिक खेती पर रोक लगेगी। सरकार जैविक खेती और गोपालन को प्रोत्साहित करेगी।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की ओर से नागरी नाटक मंडली में आयोजित समारोह में उमा भारती ने कहा कि जैविक खेती और गोपालन के लिए युवाओं को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिलाओं को वरीयता दी जाएगी। बताया कि गंगा किनारे भारत की उन्नत नस्ल की गायों का केंद्र विकसित किया जाएगा। सरकार की कोशिश है कि आनंद डेयरी की तर्ज पर गंगा डेयरी स्थापित हो। यहां के उत्पाद देश-दुनिया तक पहुंचें।

उमा भारती ने साफ कहा कि गंगा में अस्थियों के विसर्जन अथवा मंदिरों के निर्माल्य के विसर्जन पर सरकार रोक नहीं लगाने जा रही। कहा कि अस्थि विसर्जन से नहीं बल्कि टेनरियों से निकलने वाले रसायन से गंगा मैली हो रही है। देहरादून के फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ने भी गंगोत्री से गंगासागर तक के अपने सर्वे में यही पाया है।

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के साथ ही उसकी सहायक नदियों असि व वरुणा को भी निर्मल और अविरल बनाया जाएगा। इसके लिए दोनों नदियों का दायरा (कैचमेंट एरिया) बढ़ाया जाएगा। नदियों के रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं दूर की जाएंगी।

नमामि गंगे योजना के तहत गंगा के तटीय गांवों में पक्के घाटों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही गंगा निर्मलीकरण के लिए रिवर फ्रंट विकसित किया जाएगा। उमा भारती ने कहा कि पंजाब के रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के सींचेवाल मॉडल को नमामि गंगे योजना में भी लागू किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नमामि गंगे अभियान उस दिन सफल माना जाएगा या स्वच्छ गंगा का सपना उस दिन पूरा होगा जब गंगा का जल सबके पीने योग्य होगा। चाहे वह मनुष्य हो या जीव जंतु। गंगा में जलीय जीवों के संरक्षण के लिए अलग से कार्ययोजना तैयार की गई है। इस पर काम भी शुरू हो गया है।

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