नई दिल्ली : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सीटें नहीं भर पाने वाले इंजीनियरिंग कालेजों के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। एआईसीटीई ने कहा कि जिन कालेजों में पांच सालों से लगातार 70 फीसदी सीटें खाली जा रही हैं, उन्हें अगले साल से कालेज बंद करने होंगे। इस फैसले से सैकड़ों इंजीनियरिंग कालेजों के बंद होने की संभावना है।
अभी तक एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग कालेजों को बंद करने के लिए कोई प्रावधान नहीं बनाए थे। अलबत्ता सीटें नहीं भर पाने के कारण तकरीबन डेढ़-दो सौ कालेज खुद ही बंद करने के लिए आवेदन करते हैं। लेकिन इतने ही नए खुल जाते हैं। अब इंजीनियरिंग कालेजों के लिए हाल में जारी दिशा-निर्देशों में परिषद ने साफ कर दिया है कि यदि किसी कालेज में पिछले पांच सालों से तीस फीसदी तक सीटें भी नहीं भर पा रही हैं तो फिर उसे कालेज को चलाए रखने की कोई जरूरत नहीं। यह तय है कि ऐसे कालेजों के पास संसाधन नहीं है। परिषद ने कहा कि ऐसे कालेजों को अगले सत्र से बंद कर दिया जाएगा।
एआईसीटीई के चैयरमैन अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने बताया कि परिषद के पास सभी साढ़े तीन हजार इंजीनियरिंग कालेजों की सीटों का रिकार्ड है। इस रिकार्ड का अध्ययन किया जाएगा। जितने भी कालेज इस दायरे में आएंगे, उन्हें अगले सत्र से चलाने की अनुमति नहीं दा जाएगी। इस बाबत नियम जारी कर दिए गए हैं। ऐसे कालेजों को खुद ही बंदी के लिए आवेदन करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी अन्य कारणों से कालेज बंद करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन 70 फीसदी खाली सीट वाले कालेजों के लिए दरवाजे हमने खुद ही बंद कर दिए हैं।
नौ लाख सीटें खाली थी-पिछले साल इंजीनियरिंग की करीब नौ लाख सीटें खाली रही थी। जबकि कुल 17 लाख सीटें ही हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस आदेश के लागू होने के बाद इस सत्र में सैकड़ों कालेजों पर गाज गिर सकती है। महानगरों के बाहर, छोटे शहरों, ग्रामीण क्षेत्रों में इंजीनियरिंग के कालेजों में बड़े पैमाने पर सीटें खाली जा रही हैं।
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