भूमिहीनों को मछली पालन और रेशम पालन में कौशल विकास प्रशिक्षण देने की योजना

जशपुरनगर : मछली पालन और रेशम पालन उन लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है, जो भूमिहीन है। ऐसे लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ये दोनों कार्य व्यवसायिक रूप से किए जा सकते है।

कलेक्टर ने कलेक्टोरेट के सभा कक्ष में मत्स्य, रेशम पालन विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान इन कार्याें से अधिक से अधिक लोगों को व्यक्तिगत एवं समूह के रूप में जोड़ने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। उन्होंने कहा है कि कौशल विकास में प्रशिक्षण देकर इन कार्याें को गति दी जा सकती है। बैठक में मत्स्य विभाग के सहायक संचालक ने बताया कि इस वर्ष 400 लाख मत्स्य बीज स्पान लक्ष्य के विरुद्ध 530 लाख स्पान का उत्पादन किया गया है।

मत्स्य उत्पादन के 3859 मैट्रिक टन लक्ष्य के विरुद्ध 2890 मैट्रिक टन मत्स्य उत्पादन किया जा चुका है। रेशम विभाग के सहायक संचालक ने बताया गया कि तसर रेशम विकास एवं विस्तार योजना के तहत 80 लाख ककून उत्पादन लक्ष्य के विरुद्ध 41 लाख ककून उत्पादन किया जा चुका है। इसी तरह 4 हजार किलोग्राम तसर धागा उत्पादन लक्ष्य के विरुद्ध 2139 किलोग्राम धागा उत्पादन इस वित्तीय वर्ष में किया जा चुका है। मलबरी ककून उत्पादन के 2 हजार किलोग्राम लक्ष्य के विरुद्ध 926 किलोग्राम उत्पादन किया जा चुका है।

302 हेक्टेयर में रेशम पालन के लिए मनरेगा के तहत पौध संधारण का कार्य किया जा रहा है। बैठक में सहायक संचालक मत्स्य डीके इजारदार, सहायक संचालक रेशम वीपी विश्वास सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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