बिलासपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति ने रेलवे को पत्र लिखकर जाहिर की स्किल्ड मेनपॉवर देने की मंशाह

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) :  बीयू प्रशासन ने पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी डिप्लोमा सर्टिफिकेट कोर्स लागू करने की योजना तैयार की है। कुलपति ने रेलवे के डीआरएम और एसईसीएल के सीएमडी को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है कि वे उन्हें मेनपॉवर देने में कैसे सहायक हो सकते हैं। एसईसीएल ने जहां एन्वायरोमेंट के प्रोजेक्ट को सहमति देते हुए रिवाइज्ड प्रोजेक्ट भेजने स्वीकृति दी है। वहीं रेल प्रशासन की ओर से कोई जवाब अभी तक नहीं मिला है।

बिलासपुर यूनिवर्सिटी ने टिस्स के सहयोग से कौशल विकास योजना का पाठ्यक्रम शुरू किया है। शासन की मंशा और क्षेत्रीय आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए बीयू प्रशासन ने नए प्रशिक्षण का प्रोजेक्ट तैयार करने और उसी के आधार पर प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम तय किया है। बीयू प्रशासन ने तय कार्यक्रम के तहत रेलवे के डीआरएम और एसईसीएल के सीएमडी को पत्र भेजकर जानकारी मांगी थी कि उनके संस्थान में किस तरह के प्रशिक्षित स्टॉफ की आवश्यकता है, ताकि वे उनके संस्थान के लिए सहायक होने वाले पाठ्यक्रम को यहां लागू करके स्थानीय बेरोजगारों और उनके संस्थान के बीच सेतु का कार्य करके उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर उनके संस्थान के लायक बना सके। बिलासपुर यूनिवर्सिटी के एन्वायरमेंट के प्रोजेक्ट का अवलोकन करने के बाद एसईसीएल ने वाटर पाल्यूशन के क्षेत्र में कार्य करने के लिए युवाओं की मांग करते हुए वाटर पाल्यूशन के कार्ययोजना का रिवाइज्ड प्रोजेक्ट भेजने सहमति प्रदान कर दी है। वहीं रेलवे प्रशासन ने अभी तक बिलासपुर यूनिवर्सिटी के पत्र का जवाब नहीं दिया है।

बताया जाता है कि पूर्व डीआरएम का तबादला होने के कारण मामला अटका हुआ है अब नए डीआरएम से मिलकर चर्चा करने के बाद उनकी मांग के अनुरूप मंजूरी के लिए प्रोजेक्ट भेजा जाएगा। ए डीआरएम को इस संबंध में रिमाइंडर भेजा जा रहा है। यूनिवर्सिटी प्रशासन का उद्देश्य क्षेत्र की आवश्यकता के अनुरूप यहां प्रोजेक्ट लागू करके डिप्लोमा डिग्री कोर्स का संचालन कर मेनपॉवर तैयार करना है ताकि स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार की प्राप्ति हो सके।

मिल सकेगा अवसर

शहर में एसईसीएल, रेलवे के अलावा सीपत में एनटीपीसी और सिरगिट्टी औद्योगिक क्षेत्र में कई उद्योग संचालित हैं। इन संस्थानों को प्रशिक्षित स्टॉफ की आवश्यकता पड़ती है, स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण की उपयुक्त व्यवस्था न होने के कारण यहां के उद्योगों और सार्वजनिक उपक्रमों में दीगर प्रांत के बेरोजगार बाजी मार ले जाते हैं स्थानीय बेरोजगारों को अवसर ही नहीं मिल पाता।

ये होंगे फायदे:
— रोजगारोन्मुखी डिप्लोमा कोर्स के प्रति युवाओं में रुझान बढेगा।
— स्थानीय युवाओं को रेलवे, एसईसीएल व अन्य उद्योगों में रोजगार मिल सकेगा।
— उन्हें रोजगार के लिए दीगर प्रांतों में नहीं जाना पड़ेगा।
— स्थानीय युवा आत्मनिर्भर बनेंगे तो जीवन स्तर में सुधार आएगा प्रदेश का विकास होगा।

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