जांजगीर : प्रधानमंत्री द्वारा बेरोजगार युवाओं को कौशल विकास कार्यक्रम के माध्यम से स्वालंबी बनाने के लिए कौशल विकास योजना चलाई है।
जिले के स्वयं सेवी संस्थाओं ने इसमें पंजीयन करा बड़ी संख्या में सेंटर संचालित किया। मगर तंग कमरों में बिना संसाधन के कागजी घोड़ा दौड़ाने वाले इन संस्थाओं की पोल विभागीय निरीक्षण में खुली और ऐसे केन्द्रों को बंद करा दिया गया। अब तक जिले के 99 शासकीय व निजी व्हीटीपी केन्द्र बंद कराये जा चुके है, हालांकि इनमें से कुछ ने स्वयं बंद करने का आवेदन दिया था।
कौशल विकास कार्यक्रम के तहत व्हीटीपी केन्द्रों को मिलने वाले शासकीय अनुदान की लालच ने लोगों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया और देखते ही देखते गांव से लेकर गली मोहल्लों में ऐसे केन्द्रों की बाढ़ सी आ गई थी। जहां सिलाई से लेकर व्यूटीशियन जैसे प्रशिक्षण के नाम पर संचालित केन्द्रों ने सरकारी अनुदान की मोटी रकम वसूली।
जिसकी शिकायत लगातार मिलने के बाद प्रशासन की ओर से इनकी विभागीय जांच शुरू की गई, जिसके बाद ऐसे केन्द्रों की अनियमितता की पोल खुलने लगी है और इनके संचालन बंद करने का निर्णय लिया गया। हालांकि कुछ संस्थाओं ने स्वयं से प्रशिक्षण कार्यक्रम बंद करने की सूचना विभाग को दी है। जानकारी के अनुसार अब तक करीब 99 केन्द्रों को बंद किया जा चुका है, जिसमें से 29 निजी एवं 70 शासकीय संस्था शामिल है।
वर्तमान में जिले भर में 112 व्हीटीपी का जीवित पंजीयन है, जिसमें से 43 केन्द्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण के तहत अलग-अलग प्रशिक्षण कार्य जारी है। वैसे इन 112 प्रशिक्षण केन्द्रों के तीन वर्ष पूरा होने को है, जिनका पंजीयन जारी रखना है विभाग की ओर से निरीक्षण हेतु टीम का गठन किया जा चुका है, ऐसे में देखना होगा कि इनमें से कितनी संस्थाएं मापदण्डों को पूरा कर रही है।
कौशल प्रशिक्षण केन्द्रों की हो रही जांच
इस संबंध में कौशल विकास प्रशिक्षण संस्था के जिला समन्वयक मयंक शुक्ला ने बताया कि व्हीटीपी संचालन के लिए वर्तमान में 112 संस्थाओं का पंजीयन है, इनमें से तीन वर्ष पूर्ण कर चुके संस्थाओं का पंजीयन नवीनीकरण के लिए विभागीय जांच टीम का गठन किया गया है, जिसका प्रतिवेदन मिलने के बाद पंजीयन किया जायेगा।
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