रिटायरमेंट के बाद मुम्बई के चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर काअनोखा स्किल फाउंडेशन, दस हजार बच्चों के जीवन में उजाला ला किया देश निर्माण में योगदान

पटना : प्रेम वर्मा 2007 में मुम्बई के चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर के पद से रिटायर हुए रिटायरमेंट के बाद देश के नामचीन कॉरपोरेट कंपनियों में नौकरियों के काफी ऑफर आए लेकिन बिहार की मिट्टी का कर्ज चुकाने के लिए वह सब छोड़ बिहार लौट आए। यहां आकर उन्होंने समाज के कमजोर तबके के बच्चों के जीवन में उजाला ला कर देश निर्माण में अपना योगदान देने की ठानी। पटना स्थित अपने घर में शुरू किया एक अनोखा शैक्षणिक संस्थान जहां शिक्षा के साथ बच्चों की स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग शुरू हुई। आज यहां से करीब दस हजार बच्चे अपनी शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट की ट्रेनिंग ले चुके हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में भागीरथी प्रयास करने वाले प्रेम वर्मा काअनोखा स्किल फाउंडेशन दुर्गा आश्रम गली में स्थित है। यहां पर पढ़ाई कर रहे बच्चे आर्थिक रूप से बेहद ही कमजोर तबके से आते हैं। किसी के पिता रिक्शा चालक हैं तो किसी के दैनिक मजदूर। गरीबी के कारण यह अंग्रेजी स्कूलों में भले ही नहीं पढ़ पाए हो लेकिन प्रेम वर्मा के स्किल फाउंडेशन से जुड़ कर वह बेहतरीन अंग्रेजी बोलते हैं और कम्प्यूटर पर तेजी से अपनी अंगुलियां चलाते हैं। प्रेम वर्मा से हमारी मुलाकात यहां होती है। कहते हैं कि रिटायरमेंट के बाद मैंने तय कर लिया था कि पटना जाकर बिहार की मिट्टी का कर्ज चुकाना है और वहां जो कमियां हैं उसे दूर करना है। 2007 में ही स्किल फाउंडेशन की नींव रखी अब तक यहां से करीब दस हजार बच्चे शिक्षा पा चुके हैं। वर्तमान में यहां नियमित रूप से करीब 60 बच्चे आते हैं जिन्हें अंग्रेजी, कम्प्यूटर, साइंस, मैथ, डांस, सामान्य ज्ञान की शिक्षा देता हूं, इसके साथ ही बच्चों को सुबह में पांच से सात बजे तक योगा और भागवत गीता के श्लोक सिखाए जाते हैं।

नेतरहाट आवासीय विद्यालय के निदेशक भी प्रभावित

प्रेमवर्मा कहते हैं कि पिछले वर्ष हमारे स्किल फाउंडेशन को देखने के लिए नेतरहाट आवासीय विद्यालय के निदेशक आए थे। यहां हमारे काम से वह इतना प्रभावित हुए कि हमें नेतरहाट आने का निमंत्रण दिया। मैं अपने यहां के 30 बच्चों के साथ नेतरहाट गया और पांच दिन तक वहां रहा। वहां हमने शिक्षा के अपने तरीकों का आदान-प्रदान किया। प्रेम वर्मा इसके साथ ही पटना समेत दूसरे जिलों के स्कूलों में जाकर बच्चों और उनके शिक्षकों को नि:शुल्क अंग्रेजी सिखाते रहते हैं। किलकारी बिहार बाल भवन से जुड़कर भी वह बच्चों को अंग्रेजी सिखा चुके हैं। वह तीन साल तक गायघाट स्थित रिमांड होम में जाकर बच्चों को अंग्रेजी और डांस सिखा चुके हैं।

भगवत गीता के श्लोक से सिखाते हैं अंग्रेजी

बातचीतके क्रम में पता चलता है कि प्रेम वर्मा भगवत गीता के श्लोक के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी सिखाते हैं। बच्चे यहां बोर्ड पर संस्कृत में लिखे श्लोकों को पढ़ते हैं इसके बाद अंग्रेजी में उसे पढ़ते और समझते हैं, उन्हें हिन्दी में भी इसका अर्थ बताया जाता है। प्रेम वर्मा कहते हैं कि हमें अपनी मातृभाषा जरूर पढ़नी चाहिए और उसपर गर्व भी होना चाहिए लेकिन अंग्रेजी से परहेज भी नहीं होना चाहिए। वह कहते हैं कि गरीब बच्चों को अंग्रेजी की आवश्यकता है जो उन्हें रोटी दिला सकती है। इनकी कक्षाओं में सभी धर्म का सम्मान करना भी सिखाया जाता है। यहां गरीब तबके के इन स्कूली बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है, बच्चे अपने स्कूल से लौटकर यहां हर रोज आते हैं और शिक्षा के साथ ही नैतिक शिक्षा और अपनी स्किल का डेवलपमेंट भी कर रहे हैं।

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