रांची : राज्य के सभी 10 रिमांड होम (बाल सुधार गृह) के बच्चों का कौशल विकास किया जायेगा | समाज कल्याण विभाग से संबद्ध बाल संरक्षण संस्थान यह प्रस्ताव तैयार कर रहा है | सरकार मानती है कि कानून का उल्लंघन (कनफ्लिक्ट विद लॉ) करनेवाले रिमांड होम के 18 साल से कम उम्र वाले बच्चे जब सुधार गृह से बाहर जाते हैं, तो इनके फिर से मुख्यधारा से हट कर किसी अनपेक्षित कार्य में लिप्त हो जाने की संभावना रहती है | रोजी-रोजगार के लिए प्रशिक्षण के अभाव में ये बच्चे फिर से भटक सकते हैं | इसी के मद्देनजर इनके लिए भी कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करने पर विचार किया जा रहा है |
सरकार इन बच्चों के लिए स्टेशनरी (एक जगह स्थायी) व मोबाइल दोनों तरह के प्रशिक्षण केंद्र संचालित करेगी | स्थायी प्रशिक्षण केंद्र की शुरुआत रांची के डुमरदगा रिमांड होम से होगी, जहां कुल पांच जिले के बच्चे रहते हैं | गौरतलब है कि राज्य के कुल 24 जिलों के लिए 10 रिमांड होम हैं | एक रिमांड होम के साथ एक से अधिक जिलों को टैग किया गया है | इन सबमें बननेवाले स्थायी प्रशिक्षण केंद्र के अलावा तीन मोबाइल प्रशिक्षण केंद्र भी होंगे | इसके लिए तीन बसों की जरूरत है | इसके लिए टाटा से बात की गयी है | टाटा अपने सीएसआर कोटे से यह खर्च वहन कर सकती है |
मोबाइल केंद्र का इस्तेमाल गत तीन वर्षों के दौरान रिमांड होम से छूट कर गये बच्चों को प्रशिक्षित कर समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए होगा | इससे पहले इन्हें चिह्नित कर इनका ग्रुप व क्लस्टर बनाया जायेगा | इसके बाद तय समय व कार्यक्रम के तहत विभिन्न इलाके तक पहुंच कर इन्हें प्रशिक्षण दिया जायेगा | प्रशिक्षण के लिए ट्रेड का चयन प्रशिक्षण देने वाली संस्था स्थानीय जरूरतों का ध्यान रखते हुए करेगी | एजेंसी का चयन विभाग के स्तर से होगा |
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