जयपुर : 15 लाख युवाओं को स्वरोजगार देने की वसुंधरा सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को अफसरों ने फेल करने में कसर नहीं छोड़ी। युवाओं को स्किल्ड करने के नाम पर न सिर्फ फर्जी ट्रेनिंग सेंटर दिखाए गए, बल्कि इन सेंटरों पर फर्जी एंट्री दिखाकर लाखों रु. का भुगतान उठाया गया। इसका खुलासा महालेखाकार की गोपनीय जांच रिपोर्ट में हुआ है। सीएजी की टीम ने मार्च 2016 से जुलाई 2016 के बीच जयपुर, अलवर और कोटा में संचालित 18 स्किल डवलपमेंट सेंटर्स (एसडीसी) पर जांच की तो यह घोटाला सामने अाया।
सेंटर्स से लिए गए रिकॉर्ड का मिलान राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के आंकड़ों से किया गया तो इन सेंटर्स पर लगे बायोमेट्रिक एटेंडेंस सिस्टम में भारी फर्जीवाड़ा निकला। जांच में पता चला कि जो छात्र सेंटर्स पर थे ही नहीं बायोमेट्रिक मशीन में उनकी हाजिरी लगाकर सरकार से लाखों रुपए का भुगतान उठाया गया। इसमें आरएसएलडीसी के अफसरों की मिलीभगत भी सामने आई है। गाइडलाइन के मुताबिक एसडीसीज में ट्रेनीज का हाजिरी जीपीएस से जुड़ी बायोमेट्रिक मशीन से होना चाहिए और यह मशीन जयपुर आरएसएलडीसी सर्वर पर मैनेजमेंट इंफोरमेशन सिस्टम (एमआईएस) से ऑनलाइन जुड़ी होनी चाहिए। लेकिन 11 सेंटरों पर तो बायोमेट्रिक मशीन तक नहीं थी, जबकि इन सेंटरों पर रोजाना सैंकड़ों छात्रों को ट्रेनिंग लेते हुए दिखाया जा रहा था और इनकी ऑनलाइन हाजरी एमआईएस सिस्टम पर भी दर्ज हो रही थी।
जो कोर्स में थे ही नहीं उनके नाम पर भी पैसा लूटा
एसडीसी नीफा(भांकरोटा, जयपुर) दो ट्रेनीज फर्जी थे क्योंकि उनके बायोमेट्रिक इंप्रेशन मशीन में दर्ज थे ही नहीं। लेकिन स्क्रूटनी रिकॉर्ड्स में सामने आया कि आरएसएलडीसी के सर्वर पर इन दोनों की हाजिरी बैच के शुरू होने के दिन से दिखाई गई थी।
अब तक ट्रेनिंग के नाम पर 60 करोड़ बांटे
ट्रेनिंग पार्टनर को नोन प्रोडेक्शन कोर्स के लिए प्रति छात्र 28 रुपए प्रति घंटा और प्रोडेक्शन कोर्स के लिए 30 रुपए प्रति घंटा मिलता है। इसमें टीपी को प्रति छात्र को कम से कम छह घंटे पढ़ाना होता है। यानी एक छात्र पर टीपी को प्रति दिन लगभग 180 रुपए मिलते हैं। वहीं रेजिडेंशियल कोर्स के लिए 120 रुपए प्रति छात्र सरकार अलग से देती है। आरएसएलडीसी ने एक जनवरी 2014 से 31 जुलाई 2016 तक प्रदेश में 158 ट्रेनिंग पार्टनर्स बनाए और उन्हें 60 करोड़ रुपए बांटे।
ये अनियमिताएं भी मिलीं
11 मामलों में एसडीसी पर बायोमेट्रिक मशीन ही नहीं थी लेकिन आरएसएलडीसी के सर्वर पर यहां की हाजिरी हर रोज ऑनलाइन दर्ज हो रही थी। – एसडीसी सेँटर्स पर लगी बायोमेट्रिक मशीने आरएसएलडीसी से कनेक्ट नहीं थी।
घोटाले की स्किल इस तरह डेवलप
गैर हाजिर भी हाजिर : नेफा भांकरोटा में हाजिरी रिकॉर्ड्स में 21 मार्च 2016 से 29 मार्च 2016 तक 78 ट्रेनीज गैरहाजिर मिले लेकिन आरएसएलडीसी के सर्वर पर इनकी हाजिरी लगी हुई थी। फर्जी ट्रेनी, पिता का नाम भी पता नहीं : लक्ष्मी देवी अटल एसडीसी, अलवर पर टीम ने 11 फर्जी ट्रेनी पकड़े। इनसे एसडीसी के रिकॉर्ड में दर्ज पिता का नाम पूछा तो नहीं बता पाए। ये ट्रेनर व एसडीसी हैड का नाम बता पाए। एसडीसी हैड और ट्रेनर भी ट्रेनी के नाम नहीं बता पाए।
कोर्स खत्म करने से पहले प्लेसमेंट :
जयपुर की चार एसडीसी में 81 केस ऐसे सामने आए जिनमें ट्रेनीज को रोजगार में समायोजित किए जाने की तारीख उनके कोर्स खत्म होने से पहले की थी। वहीं कुछ मामलों में तो कंपनी के कैंपस प्लेसमेंट तारीख से पहले ही ट्रेनीज को उसमें समायोजित बताया गया।
डॉ. जसवंत यादव, श्रम मंत्री ने कहा कि स्किल डवलपमेंट प्रोग्राम सरकार का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता सहन नहीं की जाएगी। मैं अपने स्तर पर जांच कराऊंगा और जो भी दोषी अधिकारी होगा उसपर सख्त कार्रवाई करूंगा।
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