झारखंड में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए दिया जाएगा शिक्षा को उद्योग का दर्जा

झारखंड : राज्य में उच्च व तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा। राज्य सरकार ने यह प्रस्ताव तैयार किया है। उच्च तथा तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि इससे शिक्षण संस्थाओं की स्थापना में जमीन की समस्या नहीं रह जाएगी। निजी क्षेत्र इसके लिए एससी, एसटी या ओबीसी की जमीन खरीद सकेंगे। शुक्रवार को सूचना भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उच्च शिक्षा सचिव ने कहा कि जनजातीय परामर्शदातृ समिति ने इस पर सहमति जता दी है।

प्रस्ताव कैबिनेट में लाने की प्रक्रिया चल रही है। इससे उन पांच निजी विश्वविद्यालयों की भी जमीन की समस्या हल होगी, जिनकी स्थापना के लिए राज्य सरकार ने स्वीकृति दी है। सचिव ने उच्च शिक्षा में राज्य का वर्तमान ग्रास इनरालमेंट रेशियो राष्ट्रीय स्तर (19.4 फीसद) से लगभग आधा (8.1 फीसद) होने तथा 2022 तक इसे 32 फीसद तक लाने के लिए आवश्यक लगभग छह सौ नये कॉलेजों व संस्थानों की चरणबद्ध स्थापना किए जाने की जानकारी दी।

इस कड़ी में चालू वित्तीय वर्ष में 35 विधानसभा क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज, 12 जिलों में मॉडल कालेज तथा 11 जिलों में महिला कॉलेज खोलने की प्रक्रिया चल रही है। 60 ऐसे कॉलेज भी चिह्नित किए गए हैं, जहां पीजी की पढ़ाई शुरू होगी। राज्य में अभी एक लाख विद्यार्थियों (18-13 वर्ष आयु वर्ग के) पर मात्र आठ कॉलेज उपलब्ध हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 25 कॉलेज का है। इस क्रम में उन्होंने उच्च तथा तकनीकी तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की उपलब्धियां भी गिनाई। मौके पर झारखंड शिक्षा परियोजना की निदेशक राजेश्वरी बी, प्रभारी उच्च शिक्षा निदेशक बालेंदु भूषण, प्रभारी तकनीकी शिक्षा सचिव ब्रजमोहन कुमार, सूचना जनसंपर्क विभाग के निदेशक एके पांडेय आदि उपस्थित थे।

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